बदलती भारतीय राजनीति का विचार :कांशीराम
भारतीय समाज में राजनीति उभार का चेहरा- कांशीराम 15 मार्च 1934 को जन्में कांशीराम की जयंती पर पूरा भारतीय समाज उन्हें दिल से नमन करता है . कांशीराम एक सामाजिक आंधी जिसने बीएसपी से भारतीय समाज के वट वृक्ष को झकझोर दिया। उनके विचारों में चट्टानी द्रढ़ता और संकल्पों में अडिगता थी। उन्होंने ब्रिटिश गेल ओम्बेट की कल्चरल रिवोल्ट इन कोलोनियल इंडिया बुक को गहनता से पढ़ने के बाद गुरुग्रंथ साहब भी पढे. कांशीराम पूंजीवाद समाजवाद मार्क्सवाद साम्यवाद गांधीवाद का भारतीय समाज में कोई महत्व नहीं समझते ,ना ही वो भारतीय समाज के लिए है । कांशीराम देश में पसरी समस्त सामाजिक राजनीतिक समस्याओं के लिए जातिवाद को दोषी मानते थे.उनका मानना था दुनिया के सारे वाद यहां आकर विलीन हो जाते हैं। इसलिए कांशीराम ने डॉक्टर राम मनोहर लोहिया के गैर कांग्रेसवाद को अपना राजनैतिक मिशन बनाया है। कांशीराम छुटपुट सरकारी सुविधा और आरक्षण को सिर्फ झुनझुना समझते थे इसी आधार पर वे गांधीवाद का विरोध क...