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भारत में विश्व मंथन-2023 जी 20

जी20 देशों का 18वां शिखर सम्‍मेलन भारत की अध्यक्षता में आज नई दिल्‍ली में शुरू हुआ। भारत की अध्यक्षता में हो रहे समिट की थीम 'वसुधैव कुटुंबकम, एक पृथ्वी-एक परिवार-एक भविष्य' है, जिसके तहत सभी देशों के मिलकर काम करने पर सहमति बनी है, उद्घाटन सत्र में भारत ने अफ्रीकी संघ को समूह का स्‍थाई सदस्‍य बनाया।  दिल्ली में दुनिया प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने अफ्रीकी संघ के अध्‍यक्ष अजाली असोमनी को स्‍थाई सदस्‍य के रूप में स्‍थान ग्रहण करने के लिए आमंत्रित किया। भारत ने सबका साथ, सबका विकास की भावना के साथ अफ्रीकी संघ को जी20 का स्‍थाई सदस्‍य बनाने का प्रस्‍ताव पेश किया था। पहले सत्र की शुरूआत एक के नाम से हुई, वहीं दूसरे सत्र का आरंभ एक परिवार से हुआ। विश्व आर्थिक सहयोग आपको बता दें जी -20 की शुरूआत जी-20 यानी ग्रुप ऑफ ट्वेंटी आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक वैश्विक मंच है। 26 सितम्बर 1999 को इसकी स्थापना हुई थी। जी20 देश दुनिया की 85 फीसदी इकोनॉमी की सहभागिता करते है। जी 20 में 19 देश व यूरोपीय यूनियन शामिल है। 2024 में जी20 का शिखर सम्मेलन की मेजबानी ब्राजील करेगा।  2007 -2008

शिक्षाविद् आचार्य रामदेव भारद्वाज,शिक्षा शोध और सृजनात्मक लेखनी से दुनियाभर में बनाई पहचान

महान शख्सियत की पहिचान उनके कार्यो से होती है, मध्यप्रदेश के ग्वालियर में जन्में पले पढ़ें महान व्यक्तित्त्व के धनी रामदेव भारद्वाज ने शिक्षा के क्षेत्र में अमूल्य योगदान दिया है। प्रारम्भिक शिक्षा के दौरान से ही रामदेव शिक्षा के प्रति बेहद चिंतनशील, गंभीर, होशियार परिश्रमी और आज्ञाकारी थे ,बाल शिक्षा से ही उनमें प्रतिभा स्पष्ट तौर पर दिखाई देने लगी थी। जो उनके पूरे जीवन में प्रदत्त होती हुई नजर आई। स्कूली शिक्षा के बाद महान शिक्षाविद् आचार्य भारद्वाज ने पॉलिटिकल साइंस में गोल्ड मेडल प्राप्त कर स्नातकोत्तर की डिग्री जीवाजी यूनिवर्सिटी ग्वालियर से 1980 में उत्तीर्ण की। 1985 में अंतरराष्ट्रीय अध्ययन संस्थान जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली से एम फिल एवं 1992 में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर से उन्होंने पीएचडी की। आचार्य रामदेव भारद्वाज, अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय, भोपाल में कुलपति रहे। इससे पहले आचार्य भारद्वाज ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में कुलाधिसचिव एवं म.प्र. भोज (मुक्त) विश्वविद्यालय, भोपाल में निदेशक के दायित्व

विशेष पिछड़े वर्ग के चंदजीवी डॉ अंबेडकर के नाम से बन रहे है चंदाजीवी, पीएम मोदी का सहयोग कर अंबेडकर के सपनों का भारत बनाये वंचित समाज, शिक्षा की सीख लेने के लिए द कश्मीर फिल्म को देखें हर देशवासी

संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर को यदि एक विशेष वर्ग अपने तक सीमित रखता है तब यह उस समुदाय के साथ साथ पूरी मानव जाति के लिए नुकसान दायक है, क्योंकि विश्व व्यापी  बाबा साहेब  का संघर्षपूर्ण जीवन पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा स्त्रोत है, तभी तो कोलंबिया यूनिवर्सिटी ने डॉ. अम्बेडकर जी  को  “ ज्ञान  के  प्रतीक ” के रूप में माना हैहै।  किताब पढ़ने के जुनून से मिटाई पेट की भूख भारत में तथाकथित  सामाजिक वर्ण व्यवस्था में शिक्षा को जन्म के आधार पर  मिटाने की प्रथा को डॉ अंबेडकर ने उच्च स्तर के ज्ञान को धारण कर परास्त किया, और तमाम सामाजिक रूढ़िवादी पंरपराओं को तोड़ा।  तत्कालीन दौर में बाबा साहेब ने अपने ज्ञान की तार्किक अर्थपूर्ण शक्ति के बल पर उन तमाम पिछड़ी जातियों को शिक्षा का अधिकार दिलाया जो उस समय शिक्षा से वंचित थी, डॉ अम्बेडकर ने वंचित समाज को शिक्षा, संगठन और संघर्ष का मंत्र  देकर जीवन के नये उद्देश्य निर्धारण किये, और मानवता के नाते  सामाजिक कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हुए इस समाज को सियासत का रास्ता दिखाया। लेकिन कुछ चंद लोगों की वजह से बाबा साहब के दिखाए मार्ग को ये समाज भूल गए ह

तीन राज्यों में किसी एक पार्टी को बहुमत नहीं, मणिुपर में बीजेपी तो गोवा में काग्रेस बहुमत के करीब

पांच राज्यों के चुनावी नतीजों को लेकर एग्जिट पोल के रूझान उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण की वोटिंग खत्म होने के साथ ही आने लगे है। उत्तरप्रेदश उत्तराखंड और पंजाब  उत्तर भारत के तीन राज्य वहीं दक्षिण भारत के गोवा और पूर्वांचल के मणिपुर में विधानसभा चुनाव हुए जिसके नतीजे 10 मार्च को आएंगे। हालांकि अभी तक के चुनावी एग्जिट पोलों में करीब 90 फीसदी तक के पोल सटीक बैठते हुए दिखाई नहीं दिए। ज्यादातर एग्जिट पोल के अनुमान गलत साबित हुए है। एग्जिट पोल के मुताबिक पंजाब में आम आदमी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर  उभरती हुई दिखाई दे रही है। हालांकि वह सियासी आंकड़ा छूती हुई दिखाई नहीं दे रही । वहीं कांग्रेस को पहले से नुकसान होते हुए दिखाई दे रहा है। यदि ऐसा होता है तो अकाली दल और बसपा भी बाजी मारते हुए दिखाई दे सकते है। ऐसी स्थिति में महाराष्ट्र की तर्ज पर कांग्रेस बसपा और अकाली दल तीनों मिलकर सरकार बना सकते है। हालांकि पंजाब में बीजेपी बुरी हालात में नजर आ रही है।  एग्जिट पोल के अनुमानों में उत्तराखंड में बीजेपी और कांग्रेस में कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है। पोल में यहां भी किसी भी पार्ट

सुरक्षा चूक में एक्शन राष्ट्रपति शासन की जरूरत!

पंजाब दौरे पर आएप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में सामने आई लापरवाही या साजिश सूबे में राष्ट्रपति शासन लगवाने का नयोता दे रहा हैं। राजनीतिक गलियारों में इस बात कीसुगबुगाहट तेज हो गई हैं। कि पीएम की सुरक्षा में बड़ी चूक हुई हैं। जो वाकईये सवाल पैदा करती है कि किस सुरक्षा एजेंसी की अनदेखी वजह से ऐसा हुआ। पंजाबी सूबे में कुछ माह बाद विधानसभा चुनाव होने वालेहैं, सुरक्षा के मद्देनजर पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कई दफा राज्य की कांग्रेस सरकार पर पाकिस्तान कनेक्शन के आरोप लगाए थे। कुछ दिन पहले लुधियाना कोर्ट में हुए ब्लास्ट ने पूरे देश में पंजाब की असुरक्षा को सुर्खियों में ला दिया था। इसके कुछ समय बाद ही पीएम की सुरक्षा में बड़ी भारी चूक और देश के प्रधानमंत्री को हाइवे पर 20 मिनट तक खड़े रहने के बाद बठिंडा एयरपोर्टपर वापस लौटना प्रदेश की चन्नी सरकार को मुसीबत में डाल सकता हैं। वैसे भी चरणजीत चन्नी कुछ समय पहले ही मुख्यमंत्री बने हुए थे, और कम समय में उनकी परीक्षा विधानसभा चुनावों में होनी थी। लेकिन सीएम चन्नी के नेतृत्ववाली कांग्रेस सरकार ने सूबे में पधारे पीएम केस्वागत में नकेवल

चुनावी यादें 2021,महामारी में ममता ने मोदी को दी मात, EC को मिला अनुभव आगे आयेगा काम

कोरोना महामारी का प्रकोप पैर पसार रहा था। 2020 साल महामारी का दंश झेलते हुए खत्म अलविदा हो ही रही थी और डर के नए साए में नई साल 2021 का दहलीज पर स्वागत हुआ ही था कि साल के शुरूआत में ही चुनाव आयोग ने पांच राज्यों में चुनाव कराने की घोषणा कर दी। एक तरफ लोग कोरोना के दंश से उभर ही रहे थे कि चुनावों में मताधिकार का उपयोग महामारी में सावधानी के साथ करना लोगों के साथ आयोग के लिए भी एक चुनौती थी। लेकिन पिछली साल के बिहार राज्य के चुनाव से सबक और अनुभव लेते हुए चुनाव आयोग ने पांच राज्यों में इलेक्शन की न केवल घोषणा की वरन उन्हें बड़ी सूझबूझ से संपन्न भी कराया। EC ने की तारीख का ऐलान मुख्य चुनाव आयुक्त ने देश के 4 राज्यों और एक केंद्र शासित राज्य में विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा की। साल के शुरूआत माह फरवरी के अंत में आयोग ने तारीखों का ऐलान किया। कोरोना महामारी के कारण चुनाव आयोग संक्रमण का ध्यान रखते हुए मतदान केंद्रों की संख्या में इजाफा किया। इस दौरान सबसे खास बात ये देखी गई कि चुनाव से पहले ज्यादातर चुनाव कर्मचारियों को कोरोना का टीका लगाया गया। सभी पांच राज्यों में एक साथ 2 मई को चु

माटी पुत्र के एक आँसू ने केंद्र सरकार को किया मजबूर

एक साल पहले कृषि कानूनों के विरोध मेंकिसान जब दिल्ली की सीमाओं पर इकट्ठा होने लगे तब पूरा देश, देशकी राजधानी मेंकिसानों की जुटतीभीड़ को देखकर चिंतित होने लगा था। सर्दियों के शुरूआती मौसम की आहट के साथ साथ सरकार की चौखट पर दस्तक देते किसानों की एकजुटता को देखकर मौसम के साथ साथ केंद्र सरकार की बातूनी बयानों, अपशब्दोंकीमार भी किसानों के हौंसलेको डिगा नहीं सकी। बीजेपी सरकार को ये कतई उम्मीद नहीं थी कि किसान इतने लंबे समय तक अपने घर परिवार और खेतों को छोड़कर दिल्ली की सीमाओं पर डटे रहेंगे और टिककर सरकार के खिलाफ मुखर होते रहेंगे। आखिरकार किसानों के अड़ियल रवैए ने केंद्र की मोदी सरकार को मांग मनमाने के लिएमजबूर कर दिया। कोविड पैर पसार रहा था और किसान आंदोलन बढ़ता रहा देश के कोने कोने से आए किसानों नेदिल्ली की सीमाओं पर डटे रहकर भीषण सर्दी से लेकर तपती गर्मी और दिल्ली के दम फूलतेप्रदूषण का डटकरसामना किया। यहीं नहीं किसानों ने उस कोरोना महामारी के दंश को भी झेला जिसने पूरी दुनिया में आहाकार मचाया। कहर बरपाते कोरोना में कोविड निर्देशों का पालन करते हुए देश का किसानदिल्ली के चारों ओर पसरा रहा। ह