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Showing posts from July, 2020

नई शिक्षा नीति

कब कब आई शिक्षा नीति  आजाद भारत में  गतहीन समाज को गतिशील समाज में परिवर्तित करने के लिए नवीन शिक्षा नीति 1986 में बनी, जिसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 कहा जाता है ।इस प्रथम शिक्षा नीति  के उद्देश्यों में महात्मा गांधी के विचारों के अनुरूप ग्रामीण विश्वविद्यालयों की स्थापना करना था । इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय की पद्धति पर दूरस्थ अध्ययन पर फोकस कर मुक्त विश्वविद्याल खोलना था।नीति में आधुनिकीकरण व्यवसायीकरण के साथ सांस्कृतिक मूल्यों पर शिक्षा की  सार्वभौमिक पहुँच केंद्रीय मुद्दा  था ।इस नीति में शिक्षकों की शिक्षा को देश के स्तर का पैमाना माना । राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1992  1992 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में नरसिंहा राव सरकार द्वारा सुधार किया गया तथा वर्ष 2005 में  इन सुधारों को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा स्वीकार कर लिया गया जिसे कॉमन मिनिमम प्रोगाम के रूप में जाना गया।1992 शिक्षा नीति के के तहत अखिल भारतीय स्तर पर सभी व्यावसायिक और तकनीकी शिक्षा के लिए देश में एक सामान प्रवेश परीक्षा लागू हुई। इस नीति से जेईई,एआईईईई, एसएलईईई प्रवेश परीक्षाएं आरंभ हुई ।   विश्वसनीय और उच

पर्चा के ख़र्चे तक पैसे नहीं तो मौत

स्वास्थ्य सभी के लिए अति आवश्यक है, अतः प्रत्येक नागरिक के लिए स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध होनी चाहिए। सभी नागरिकों को बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के उद्देश्य से सरकार ने विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं एवं कार्यक्रमों की शुरुआत की एवं उन्‍हें लागू किया है ।स्वास्थ्य परिवार कल्याण विभाग भारत सरकार की ऊपरी पंक्ति के लाइन किसी गरीब निर्धन नागरिक को सिर्फ सुनने में अच्छी लगती है ।इन्हीं लाइनों के शब्दों के सहारे वह  अस्पताल में जाता  है जहां उसे चिल्लाहट भरे शब्दों की फटकार मिलती है इलाज नहीं । बाजारवादी लोकतंत्र की सरकारों के स्वास्थ्य सुविधाओं की सम्पन्नता के गुणगान धरातल पर नजर आते है । भारत शासन द्वारा केन्‍द्रीय वित्‍त बजट 2018 में आयुष्‍मान भारत की घोषणा की गई थी, जिसके दो मुख्‍य उद्देश्य थे ।देश में एक लाख हेल्‍थ एण्‍ड वेलनेस सेंटर्स स्‍थापित करना एवं 10 करोड़ परिवारों को 5.00 लाख  रुपए प्रतिवर्ष के स्‍वास्‍थ्‍य बीमा कवच से जोड़ना ।  गुना मध्यप्रदेश में एक गरीब का इलाज नहीं होने का कारण जानकर आपकी रूह कांप उठेगी। दरअसल अशोकनगर  के शंकर कॉलोनी निवासी सुनील धाकड़ की मौत इलाज के

ओली की बोली नेपाली

ओली की बोली नेपाली भारत नेपाल संबधों का असर सीमावर्ती क्षेत्र के नागरिकों पर पड़ने लगा है।नेपाल ने फिर से भारत के साथ नया मसला खड़ा कर दिया है। इस बार नेपाल ने भारतीय सीमा के अंदर बनी सीता माता की गुफा पर दावा किया है।  नेपाली प्रधानमंत्री ओली के विवादित बयान के बाद से ही नेपाल की तरफ से भारत को उकसाने वाला काम किये जा रहे है। नेपालियों ने इंडो-नेपाल बॉर्डर  पर सीता माता की गुफा के पास लगे बॉर्डर पिलर को उखाड़ दिया है।पिलर नंबर 436 के उखाड़े जाने की खबर मिलते ही सीमा सुरक्षा बल के अफसर अपने जवानों के साथ मौके पर पहुंचे।  सीता माता गुफा सीता माता गुफा के बारे में कहा जाता है कि जब माता को अग्निपरीक्षा के बाद बनवास के लिए जाना पड़ा तो वो थोड़ी देर इस गुफा में रुकीं थीं और पूजा की थी। इसके बाद वो वाल्मीकि आश्रम के लिए प्रस्थान कर गईं। जिसे आज का वाल्मिकी नगर कहा जाता है ।नेपाल  के प्रधानमंत्री ओली ने झूठा इतिहास बनाते हुए ये कह दिया कि पहले ठोड़ी से लेकर वाल्मीकि नगर के वाल्मीकि आश्रम तक अयोध्या था। ओली के सवाल और दावों का दम जिस अयोध्या का दावा भारत के उत्तर प्रदेश में किया जाता है,वहां स

बाजारवादी सरकार और उसका लोकतंत्र

कितनी नैतिक है ,खाकी की बर्बरता और बेरहमी मध्यप्रदेश के गुना में गरीब किसान के साथ पुलिस द्वारा की गई बर्बरता पूर्ण पिटाई की जितनी निंदा की जाए कम है।जिसकी वजह से किसान पुत्र की सरकार शर्मसार हुई है।भीड़ बनकर गई खाकी को कानून का जरा सी भी ख़्याल नहीं आया ।जिसने सरकार और स्वयं के साथ साथ कानून को भी शर्मिदा कर दिया है।भू राजस्व का सपोर्ट बनकर गई पुलिस ,उस अनुसूचित जाति के किसान पर भीड़ की तरह टूट पड़ी ।लाठी, डंडे, लात बरसाने वाली खाकी उन्माद भीड़ बन गई और बर्बरता व बेरहमी से पुलिस ने उस अन्नदाता की जमकर ,दौड़ा दौड़ा कर पिटाई की ।पुलिस के अनुसार वह किसान अतिक्रमण जमीन पर फसल कर रहा था ।किसान के मासूम बच्चों और परिवार के लाख गिड़गिड़ाने के बाद भी पुलिस के हाथ नहीं थमे ।किसान की तमाम गुहार कोशिशों के बावजूद भी पुलिस ने उसकी खड़ी फसल पर जेसीबी चला दी ।पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ किसान दंपत्ति ने खेत में ही कीटनाशक पी लिया।बच्चें  माता पिता से लिपटते हुए बिलखते हुए रो रहे ,पुलिस के हाथ पैर जोड़ रहे ।लेकिन बर्बरता और बेरहमी से पिटाई कर रही खाकी को बिल्कुल रहम नहीं आया ।इस वीडियो के सोशल  मीडिया पर वायरल

व्यक्तिगत स्वतंत्रता

आओ... पाओ ....बागी बनो आए दिन बागी बनने की राजनीति सुर्खियां खूब सुनाई दे रहीं है। कल तक उसकी सत्ता थी ,पता नहीं रातों रात किसकी सत्ता बन जाए ।सत्ता बदलने का ये खेल खेलने वाले बागी ,तो कभी गद्दार, तो कभी महत्त्वाकांक्षी और ना जाने कितने  नामों से पुकारे जाते है ।सत्ता परिवर्तन करना इनका कोई नया खेल नहीं नहीं है ।ना ये नाम नए है । राजा महाराजा के समय से ये गेम चेंजर रहे है । षड्यंत्र साजिश सत्ता परिवर्तन और अपनों को धोखा देना उनका शौक रहा है। । क्यों देते है धोखा अपनो को धोखा देना कोई नहीं चाहता। इनसे संवाद करने पर या  पार्टी के पाले में उछल कूद कर पहुँचते है उनसे पूछने पर इनके विभिन्न नामों का असली कारण  पता चलता है । ढूंढते है अनुकूल पद,परिस्थिति और पैसा जब एक कार्यकर्ता अपनी मेहनत संघर्ष के बलबूते पर राजनीति की चोटियों पर चढ़ता है,जिसकी अथक मेहनत पार्टी को भी एक नई उड़ान नया मुकाम हासिल करवाती है, तब यह सब को अच्छा लगता है ।हालांकि इसकी ऊंची उड़ान शीर्ष नेतृत्व के संरक्षण में होती है ।लेकिन इसकी यह तरक्की शेतु का काम करने वालो से देखी नहीं जाती,और यहीं शेतु उस मेहनती सफल कार्यकर्ता के प

वक्त है बदलाव का

वर्तमान में दल-बदल विरोधी कानून की प्रासंगिकता पर सवाल उठना लाजमी है। करीब एक साल के भीतर अलग अलग राज्यों के विधानसभा अध्यक्ष ने कई विधानसभा सदस्यों को उनके आचरण के कारण अयोग्य घोषित किया है ।जिस दिन से इन्हें सदन की सदस्यता से अयोग्य घोषित किया जाता है ,उसी दिन से अयोग्य सदस्यों को मंत्री पद से भी अयोग्य कर दिया जाता है ।ऐसे में मध्यप्रदेश में सदन से अयोग्य घोषित सदस्य को मंत्रिमंडल में शामिल करना कितना संवैधानिक है ।इसकी  संवैधानिक पध्दति से जांच करना राज्यपाल की जिम्मेदारी है ।क्योंकि सदन के मुखिया विधानसभा स्पीकर ने दल बदल कानून के अंतर्गत सदस्यों की अयोग्यता को सही ठहराया है ।अब सदन से अयोग्य घोषित नागरिक को  मंत्री पद देकर अन्य दल द्वारा सदन में  ले जाना  क्या सदन और स्पीकर का अपमान नहीं है । पदानुसार स्पीकर के  अयोग्य घोषित आदेश की सदस्यों द्वारा सदन में जाना  अवहेलना की कैटेगरी में नहीं आएगी । चुनावी लोकतंत्र का यह घटनाक्रम स्पष्ट तौर पर दल-बदल विरोधी कानून में बदलाव की ओर इशारा करता है, क्योंकि इस घटनाक्रम ने चुनावी दलों के समक्ष दल-बदल विरोधी कानून के दुरुपयोग का एक उदाहरण प्

फुटपाथ पर पढ़कर पाए प्रथम श्रेणी प्राप्तांक

मुश्किल समय में नहीं खोया धैर्य ,हौसला रखा और मेहनत से पाया मुकाम अक्सर माता-पिता अपने बच्चों को घर उपलब्ध कराते हैं, लेकिन मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में फुटपाथ पर रहने वाले एक दंपति को कक्षा 10 की परीक्षा में बेटी को मिली सफलता की बदौलत घर मिला है।एमपी हाई स्कूल के नतीजे आ गए हैं। कई छात्र छात्राओं ने परिस्थितियों व संकट में भी अपने हौसलों को टूटने नहीं दिया है। उन्हीं में एक है, इंदौर की रहने वाली संघर्ष की परी भारती खांडेकर । इंदौर के शिवाजी नगर मार्केट के फुटपाथ पर अपने माता-पिता और दो छोटे भाइयों के साथ रहने वाली भारती खांडेकर ने मध्य प्रदेश राज्य माध्यमिक शिक्षा मंडल की दसवीं की परीक्षा में 68 फीसदी अंक हासिल किए है। सड़क, फुटपाथ और मीडिया में उसकी सफलता की कहानी के चर्चे सामने आने के बाद, नगर निगम ने भारती के परिवार को फ्लैट दिया है। भारती के पिता दशरथ खांडेकर मजदूर हैं, जबकि मां लक्ष्मी घर घर जाकर काम करती हैं। भारती एक सरकारी स्कूल में पढ़ रही है। फुटपाथ पर स्ट्रीट लाइट में पढ़कर 10वीं की परीक्षा में 68 प्रतिशत अंक लाने वाली भारती खांडेकर और उसके परिवार को  नगर निगम ने  काफी तला

भारत को सतर्क रहना होगा

शक्तिशाली दुश्मनों की दोस्ती भारत के लिए खतरा  जैसा कि पूरी दुनियां जानती है कि विश्व की नम्बर वन सुपरपॉवर बनने के लिए चीन और अमेरिका में हाल फिलहाल खूब बयान बाजी हो रही है ।ऐसे में चीन अपनी वर्ल्ड पॉवर का प्रदर्शन भारत के खिलाफ कर सकता है, गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प    से सबक लेते हुए भारत को चीन के खतरे से सतर्क रहना होगा ।दूसरी तरफ़ जब से कोरोना महामारी आई है अमेरिका,चीन के खिलाफ कई मुद्दों की साज़िश को लेकर विश्वपटल पर  हमलावर है जिनमें प्रमुखता से कोरोना विषाणु के ऑरिजिन, दक्षिणाी चीन सागर में कृत्रिम ठिकाने उन पर हवाई पट्टी व सैन्य अभ्यास,हॉन्गकॉन्ग का नया सुरक्षा क़ानून ,तिब्बत मामला,कई छोटे देशों के साथ दादागिरी वाले मुद्दे शामिल है। हो सकता है अमेरिका में इस साल राष्ट्रपति चुनाव है और राष्ट्रपति ट्रम्प चुनाव के लिए चीन के खिलाफ ऐसा कर रहे हो । वैसे भी कोरोना महामारी में डोनाल्ड ट्रम्प की विफलताएं अमरीकी जनता के सामने आ चुकी है। राष्ट्रपति  चुनाव हित के चलते ट्रम्प ने फ्लॉयड की हत्या पर साम्प्रदायिक बयान भी दिए थे। भारत और चीन के तनातनी तनाव में अमेरिका भारत का सहयोग देने के लि

एशिया का सबसे बड़ा सोलर प्लांट

रीवा को मिली नई वैश्विक सोलर पहचान , विश्व में भारत पहुँचा पांचवे स्थान पर:पीएम मोदी एशिया का सबसे बड़ा सौर प्लांट रीवा  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मध्य प्रदेश के रीवा में बने अल्ट्रा मेगा सोलर प्लांट का शुक्रवार 11 बजे लोकार्पण किया।पीएम मोदी ने कहा-  अब मध्य प्रदेश साफ-सुधरी और सस्ती बिजली का हब बनने जा रहा है। इससे सबसे ज्यादा लाभ मध्यम गरीब ,किसान आदिवासी परिवारों को मिलेगा। सूर्य का संस्कृति में स्पेशल महत्त्व पीएम मोदी ने कहा सूर्य का हमारी संस्कृति में स्पेशल महत्व रहा है। जिस प्रकार हम सभी सूर्य की  उपासना करते है जिससे हमें पवित्रता की अनुभूति होती है ।उसी प्रकार पवित्र सूर्य की कृपा से रीवा में ऐसी ही पवित्रता का अहसास होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि सूर्य देव की अपार ऊर्जा को आज पूरा देश महसूस कर रहा है। उन्होंने आगे कहा सोलर एनर्जी 21वीं सदी का एक बड़ा माध्यम बनने जा रहा है। जो श्योर, प्योर और सिक्योर है। श्योर इसलिए कि सूर्य हमेशा चमकता रहेगा,  प्योर, इसलिए क्योंकि इससे पर्यावरण स्वच्छ सुरक्षित और साफ-सुधरा  रहेगा। सिक्योर इसलिए कि इससे बिजली की

मोदी इशारों से चीन बेचैन

पीएम मोदी के इशारों से बैचेन चीन   वर्तमान दौर में पूरा विश्व COVID-19 से पैदा हुई परिस्थितियों व संकटो से छुटकारा पाने के लिए संघर्षरत है, वहीं दूसरी ओर चीन अपनी विस्तारवादी सोच को लेकर जगह जगह अपनी सैन्य गतिविधियों को संचालित कर रहा है .चीन भारत से सटी पूर्वी और उत्तरी पूर्वी सीमाओं पर कई बार हरकत कर चुका है ,कुछ दिन पहले ही चीन ने गलवान घाटी में शांति भंग की थी ।चीन अपने कई पड़ोसी देशों पर अपना हुक्म जताना चाहता है ।ऐसा करके वह अपनी वैश्विक शक्ति का प्रदर्शन करना चाहता है। दक्षिण चीन सागर में भी चीन की दखलांदाजी लगातार बढ़ रही है ।इस क्षेत्र पर वह अपना दावा ठोकना चाहता है। इस क्षेत्र से संबंधित देशों के समक्ष दोहरी चुनौती पेश कर रहा है। जो पूरी दुनियां के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।   2020 के शुरुआती महीनों में चीन के द्वारा इस संवेदनशील क्षेत्र में सैन्य अभ्यास के आयोजन के साथ ही बड़े पैमाने पर सैन्य टुकड़ियों की तैनाती की गई । तब वियतनाम के विदेश मंत्रालय के अनुसार, कुछ दिन पूर्व ही चीन के तटरक्षक बल के एक पोत द्वारा दक्षिण चीन सागर के पार्सल द्वीप समूह में वियतनाम की मछली पकड़ने वाली नौका

विभाग बंटवारे पर शिवराज सिंधिया सहस्त्रबुध्दे में असहमति

बंटवारे में मंथन, वर्कआउट या सौदेबाजी मध्यप्रदेश शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार का मामला जिस तरह से केंद्रीय नेतृत्व  ने सुलझाया था, उसी तरह मंत्रियों के बीच विभाग के बंटवारे के मुद्दे को सुलझाने पर काम हो रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच इस मामले में भोपाल में प्रारंभिक चर्चा हुई थी। इसके बाद मुख्यमंत्री रविवार को दिल्ली पहुंचे और उन्होंने केंद्रीय नेतृत्त्व से मुलाकात की । बताया जा रहा है कि भाजपा के वरिष्ठ मंत्रियों और ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक कुछ मंत्रियों को बड़े विभाग देने को लेकर खींचतान है। मुख्यमंत्री वरिष्ठ मंत्रियों को उनके कद और अनुभव के हिसाब से विभाग देना चाहते हैं, जबकि सिंधिया समर्थक मंत्री दमदार विभाग चाहते हैं। सिंधिया समर्थक  मंत्री किसी भी सूरत में कमलनाथ सरकार में  मिले विभाग से कमतर पर सहमत नहीं हैं। वर्कआउट के बाद बंटवारा शिवराज मंत्रिमंडल में विभागों के बंटवारे को टाला जा रहा है जिसमें एक दिन का समय और लग सकता है। पेंच में फंसे बंटवारे को लेकर हो रही टालमटोल और देरी ,विपक्ष को सरकार पर प्रश्न चिह्न खड़ा करने का मौका दे रही है ।

बसपा में घर वापसी

मुरैना वरिष्ठ बसपा नेता रामप्रकाश राजोरिया पुनः बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गए ।प्रदेश अध्यक्ष इंजी रमाकांत पिप्पल ने फोन पर बताया कि ज़ोन इंचार्ज की  उपस्थिति में रामप्रकाश राजोरिया ने बीएसपी  की सदस्या ग्रहण कर ली है । मध्यप्रदेश में विधानसभा उपचुनाव की 24 सीटों पर चुनाव होने है । उपचुनाव को देखते हुए दलों में नेताओं की उठापटक जारी है ।कौन कब किस पार्टी  का पाला बदल ले कुछ कहा नहीं जा सकता।उपचुनाव को देखते हुए मुरैना में भी चुनावी सरगर्मी तेज है. मुरैना में विधानसभा की 5 सीटों पर उपचुनाव होना है . वैसे तो पूरे प्रदेश में बीजेपी-कांग्रेस का मुकाबला है,लेकिन यहां इन दोनों दलों का ज़ायका बीएसपी बिगाड़ देती है. आंकड़ों के नजरिये से देखें तो इन सीटों पर बीएसपी का अच्छा खासा प्रभाव है.  रामप्रकाश राजोरिया 2018 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी छोड़कर आम आदमी पार्टी में चले गए थे। बीएसपी ने उन्हें 2018 विधानसभा चुनाव में  मोरेना विधानसभा से अपना उम्मीदवार घोषित किया था लेकिन अंत में बहुजन समाज  पार्टी ने उनके समधी दिमनी से पूर्व विधायक बलवीर डंडोतिया को प्रत्याशी घोषित कर दिया ।जिससे नाराज होकर

मोरेना में प्लास्टिक सड़क ,

मध्यप्रदेश में दूसरी प्लास्टिक सड़क  मुरैना जिले की अम्बाह रोड़ पर ग्राम खुर्द पर एक किलोमीटर लम्बी प्लास्टिक सड़क का निर्माण करके सड़कों के क्षेत्र में नई तकनीकी उपलब्धी हासिल की है। यह मध्यप्रदेश की दूसरी सड़क है, जिसका निर्माण मुरैना जिले के अम्बाह खुर्द में किया  गया है .इसी तरह की प्रदेश की पहली सड़क भोपाल मार्ग के आष्टा और शुजालपुर में बनाई गईहै. इस सड़क का निर्माण पी.आर.जी. जम्मू कश्मीर की कंपनी ने किया है. प्रदेश सरकार की पहल पर खराब प्लास्टिक से मुरैना जिले की नवनिर्मित सड़क एक किलोमीटर लंबी और 10 मीटर चौड़ी है जो मात्र 36 लाख रूपये में बनकर तैयार हुई है इस रोड़ को पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में नेशनल हाइवे ने हाथ में लिया है। इस सड़क के बनने से ग्रामीण लोंगो में खुशी की लहर दौड़ी है, उनका कहना है कि डाबर की रोड़ बरसात के समय बार-बार कट जाती थी, कंक्रीट की रोड़ भी एक गिट्टी निकलने के बाद जगह-जगह गड्डे में तब्दील हो जाती थी, किन्तु प्लास्टिक की रोड़ बनने से यह रोड़ हमारे लिये आजीवन बन गई है     केन्द्र व राज्य सरकारें शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में वेस्ट प्लास्टिक की सड़कों का निर्माण करके लोंगो क

टाइगर पॉलिटिक्स

नहीं थम रही 'टाइगर' पॉलिटिक्स राजनीति में टाइगर शिकार  भोपाल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और  बीजेपी राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के टाइगर वाले बयान पर सियासी बयानबाजी अभी भी जोर शोर से जारी है.अब  कमलनाथ सरकार में  पूर्व मंत्री रहे जीतू पटवारी ने खुद की  तुलना टाइगर से करने वाले बीजेपी नेताओं को आदमखोर  कहा है ,मध्य प्रदेश में  शिवराज कैबिनेट विस्तार के बाद विभाग बांटने में हो रही देरी को लेकर कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर निशाना साधा. जीतू पटवारी ने शिवराज सिंह चौहान और ज्योतिरादित्य सिंधिया की तुलना ' आदमखोर ' से की है .खुद को टाइगर कहने वाले लोग सियार की तरह काम कर रहे हैं. प्रदेश की जनता इन आदमखोरों को सबक सिखाएंगी, जीतू पटवारी ने ट्वीट पर लिखा है, 'लोकतंत्र का चीरहरण कर पीछे के रास्ते से मुख्यमंत्री बने, 100 दिन बाद पूरा मंत्रिमंडल बनाया लेकिन आज तक विभाग का बंटवारा नहीं कर पाए और अपने आप को टाइगर कहते है...हरकत तो सियार जैसी करते है!- लोकतंत्र के इन "आदमखोर" टाइगरों को जनता सबक सिखायेगी.. '  पॉलिटिक्स में

एमपी महिला सशक्तिकरण में महिलाएं कहां?

राज्य में सत्ता किसी  भी राजनैतिक दल की हो महिला सशक्तिकरण, महिला आरक्षण, महिला प्रतिनिधित्व, महिला सुरक्षा और शोषण से मुक्ति की बात जोरों शोरो से करती है ।लेकिन करती कुछ भी नहीं ।  15 वी विधानसभा में में महिलाओं का प्रतिशत  8% है 230 विधानसभा सदस्यों की संख्या में से  केवल 18 महिला ही विधानसभा के द्वार तक पहुंची थी।  प्रदेश में 2003 से 2018 तक लगातार 15 साल बीजेपी वहीं 15 माह कांग्रेस और पुनः बीजेपी सत्ता में आई. 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से निर्वाचित 22 विधानसभा सदस्यों ने  विधानसभा सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया जिससे कमलनाथ नेतृत्व की कॉग्रेस सरकार सत्ता से बेदखल हो गई और सत्ता में चौथी बार पुनः शिवराज सरकार सत्ता में वापस आई . शिवराज मंत्रिमंडल का गठन हुआ.और 13 साल से सत्ता कुर्सी पर विराजमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने  महिला सशक्तिकरण पर सख्त लिहाज से अपना संबोधन दिया.महिला आत्मनिर्भर के लिए शब्दों ,योजनाओं की झड़ी लगा दी .लेकिन शायद प्रदेश नेशनल क्राइम रिपोर्ट बयूरो की रिपोर्टो पर गौर नहीं फरमाया . देश हो  या प्रदेश हमारी भारतीय परंपरा रही है भावनाओं में भावुक हो जाना. ज

जनता को दे बराबर रेस्पांस ,शिवराज की मंत्रियों को नसीहत

मंत्रिमंडल विस्तार के बाद पहली ही बैठक में मंत्रियों को मिला शिवराज टास्क भोपाल  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने  मंत्रिमंडल विस्तार के बाद पहली कैबिनेट बैठक में ही सभी मंत्रियों के लक्ष्य निर्धारित कर दिए है ।मंत्रिमंडल विस्तार के बाद हुई इस बैठक में सीएम शिवराज सिंह ने कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए मंत्रियों को कुछ नसीहत दी है. जिसमें जनता को सर्वोपरि मानकर चलने वाले जनहितैषी सीएम ने जन कल्याण में किये जाने वाले कार्य को बिना डर के करने को कहा है, आगे उन्होंने कहा हम सब को मिलकर सरकार के परिश्रम की पराकाष्ठा दिखानी होगी.जन कल्याणकारी कार्य करते हुए सरकार का अब एक भी क्षण व्यर्थ में बर्बाद ना किया जाएं .बैठक में उन्होंने इस समय को जनता का समय बताते हुए  अतिमहत्त्वपूर्ण बताया है. स्वास्थ व दिनचर्या का रखे ख्याल , दो दिन ही भोपाल में रहें सीएम ने वैश्विक कोरोना महामारी में सभी से स्वास्थ व दिनचर्या का ख्याल रखते हुए  तनावमुक्त माहौल में कार्य करने को कहा है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कोरोना प्रकोप के चलते  दो दिन भोपाल के लिए रखें है , जिनमें से सोमवार को विभाग की समीक्षा व मंग

महाराज के गढ़ पर शिवराज की कृपा

भोपाल मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान सरकार के मंत्रिमंडल का आज संपूर्ण विस्तार हो गया है. राजभवन में मध्यप्रदेश प्रभारी राज्यपाल आनंदीबेन  की मौजूदगी में 28 नए मंत्रियों ने शपथ ली.इसके साथ ही शिवराज सरकार में सीएम सहित 34 मंत्री हो चुके है .230 विधानसभा सीटों वाली मध्यप्रेदश विधानसभा की सरकार में कुल 35 मंत्री हो सकते है. इस लिहाज से अभी भी एक मंत्री पद रिक्त है।    एक निजी टीवी चैनल में दिए गए बयान में उमाभारती ने इस मंत्रिमंडल विस्तार पर नाराजगी जतायी है.उन्होंने असहमति जताते हुए इसे जातीय असंतुलन  बताया है. क्या पूर्व मुख्यमंत्री का यह बयान शिवराज के विष पीने वाले बयान को सही ठहरा रहा है .शिवराज के इस बयान पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पलटवार करते हुए कहा था कि मंथन से निकले विष को अब डैली पीना पड़ेगा और अमृत के लिए तरसना पड़ेगा. चौथी वार शिवराज सरकार  20 मार्च को सरकार गिरी, 23 मार्च को शिवराज चौथी बार सीएम बने,21 अप्रैल को मिनी कैबिनेट में 5 मंत्रियों की शपथ ,और 2 जुलाई को पूर्ण मंत्रिमंडल विस्तार  सिंधिया समर्थक 6 मंत्रियों सहित 22 विधायकों के कांग्रेस से इस्तीफा द

मॉनीटिरिंग के नाम पर मामा का ठेंगा

मॉनिटरिंग के नाम पर मामा का ठेंगा वैश्विक महामारी कोरोना  में संक्रमण आए दिन निरंतर बढ़ रहा है .मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अनुसार बच्चों के  स्कूल 31 जुलाई तक बंद रहेंगे.इसके बाद क्या स्थिति होंगी इसकी समीक्षा जुलाई के अंत में की जाएंगी तभी निर्णय लिया जाएगा . लेकिन हाल -फिलहाल राज्य शिक्षा केंद्र ने सरकारी स्कूलों को घर पर खोलने का प्लान बना लिया है.  इसके लिए केंद्र ने प्रदेश के तमाम जिला शिक्षा केंद्र को फरमान जारी किया है कि कोविड 19 में बच्चे स्कूल नहीं आ पाएंगे ऐसे में घरों में ही स्कूल शुरू किए जाए. घरों में स्कूल जैसा वातारण बनाएं ताकि बच्चा पढ़े तो उसे लगे कि वो स्कूल में पढ़ाई कर रहा है.घर की बास्तविक स्थिति में आभासी क्लास का अनुभव कराया जाएगा. जिसमें बच्चें की   पढ़ाई शुरू होने से पहले घर का कोई एक सदस्य घंटी या थाली बजाए. हालांकि घण्टी या थाली  छज्जे पर या बालकनी में नहीं बजानी पड़ेगी. घर के किसी सदस्य को घण्टी या थाली बच्चे के सामने बजानी होंगी  वहीं बच्चे का जिस स्कूल में दाखिला है वहां के शिक्षक पांच घरों की रोज मॉनिटरिंग करेंगे। राज्य शिक्षा केंद्र ने इसे नाम दिया है