विशेष पिछड़े वर्ग के चंदजीवी डॉ अंबेडकर के नाम से बन रहे है चंदाजीवी, पीएम मोदी का सहयोग कर अंबेडकर के सपनों का भारत बनाये वंचित समाज, शिक्षा की सीख लेने के लिए द कश्मीर फिल्म को देखें हर देशवासी
संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर को यदि एक विशेष वर्ग अपने तक सीमित रखता है तब यह उस समुदाय के साथ साथ पूरी मानव जाति के लिए नुकसान दायक है, क्योंकि विश्व व्यापी बाबा साहेब का संघर्षपूर्ण जीवन पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा स्त्रोत है, तभी तो कोलंबिया यूनिवर्सिटी ने डॉ. अम्बेडकर जी को “ ज्ञान के प्रतीक ” के रूप में माना हैहै। किताब पढ़ने के जुनून से मिटाई पेट की भूख भारत में तथाकथित सामाजिक वर्ण व्यवस्था में शिक्षा को जन्म के आधार पर मिटाने की प्रथा को डॉ अंबेडकर ने उच्च स्तर के ज्ञान को धारण कर परास्त किया, और तमाम सामाजिक रूढ़िवादी पंरपराओं को तोड़ा। तत्कालीन दौर में बाबा साहेब ने अपने ज्ञान की तार्किक अर्थपूर्ण शक्ति के बल पर उन तमाम पिछड़ी जातियों को शिक्षा का अधिकार दिलाया जो उस समय शिक्षा से वंचित थी, डॉ अम्बेडकर ने वंचित समाज को शिक्षा, संगठन और संघर्ष का मंत्र देकर जीवन के नये उद्देश्य निर्धारण किये, और मानवता के नाते सामाजिक कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हुए इस समाज को सियासत का रास्ता दिखाया। लेकिन कुछ चंद लोगों की वजह से बाबा साहब के दिखाए मार्ग को ये समाज भूल गए ह