स्त्री शिक्षा के अग्रदूत -महात्मा फुले
आज 28 नवंबर को महान भारतीय विचारक, समाज सेवक दार्शनिक व लेखक ज्योतिराव गोविंदराव फुले की पुण्यतिथि है जिन्हें लोग उनके महत्वपूर्ण सामाजिक योग्दान और सामाजिक कल्याण के कारण महात्मा फुले से जानते है । ओबीसी समाज में जन्मे महात्मा फुले जाति से माली थे जिनका पूरा नाम ज्योतिराव गोविंदराव गोल्हे था ।बाद में उनका नाम ज्योतिराव गोविंदराव फुले पड़ गया । महात्मा के नाम में फुले फूल बेचने के कारण पड़ा। धर्म ,समाज और परंपराओं के सत्य को सामने लाने हेतु ज्योतिबा फुले ने गुलामगिरी, तृतीय रत्न, छत्रपति शिवाजी, राजा भोंसले का पखड़ा, किसान का कोड़ा, अछूतों की कैफ़ियत जैसी अनेकों किताबे लिखी ।उनकी सार्वजनिक सत्य धर्म किताब निधन के बाद 1891 में प्रकाशित हुई । 24 सितंबर1873 में ज्योतिराव फुले ने सत्यशोधक समाज की स्थापना की। नारी और निर्बल लोगों के कल्याण के लिए अनेक कार्य किए। शिक्षा से वंचित स्त्री और समाज के सभी वर्गों को शिक्षा मिले इसके लिए हमेशा कार्य करते रहे। स्त्री शिक्षा की प्रबल समर्थक थे। हजारों सालों से शिक्षा से वंचित दलित और नारी को शिक्षा ग्रहण करने की प्रेरणा देते रहे ।वंचित वर्ग में