संविधान दिवस मनाएंगे अपने अधिकार जानेंगे

26 नवम्बर 1949 एक ऐतिहासिक दिन जो भारत के इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गया ।इस दिन ऐसा कार्य हुआ जो भारत के इतिहास प्री वैदिक हिस्ट्री से लेकर ब्रिटिश हुकूमत की समाप्ति तक नहीं हुआ। इस दिन भारत का स्वर्णिम भविष्य लिखा गया भारत ने एक नए दौर में प्रवेश किया। इस दिन हमने भारत को एक संवैधानिक लोकतांत्रिक गणराज्य राष्ट्र बनाया ।श्रमण, वैदिक काल से होते हुए बुद्धिस्ट इंडिया, इस्लामिक  और ब्रिटिश भारत में लोगों को मूलभूत अधिकारों से वंचित रखा गया। इस बीच कई अच्छे अच्छे धर्म भारत में आए लेकिन किसी भी रिलीजन ने राइट की गारंटी नहीं दी ।इसको ध्यान में रखकर संविधान सभा ने अधिकारों को कानूनी पायजामा पहनाकर संविधान के रूप में भारत के नागरिकों को प्रदान किये ।संविधान में शासन व्यवस्था और प्रबंध के साथ ,समान स्वतंत्र न्याय की व्यवस्था है ।राष्ट्र का अपना कोई धर्म नहीं है लेकिन सभी धर्मों का सम्मान अपेक्षित है ।भारत का संविधान दुनिया का सबसे लंबा  कम समय में बना हुआ बेस्ट फ़ीचर वाला संविधान है ।संविधान सभा ने करीब 3 साल में  इसे पूर्ण रूप दिया लेकिन बाबा साहिब  डॉ भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता वाली ड्राफ्टिंग कमेटी ने इसे 121दिन में ही बना दिया था । संविधान सभा की अपनी एक प्रकिया के कारण इसमें लम्बा समय लग गया । 26 नवबंर 1949 को संविधान सभा ने इसे अंगीकृत अधिनियमित और आत्मार्पित किया अर्थात अपनाया । संविधान मूलभूत कानून के साथ सर्वोच्च कानून भी है ।इसी के कारण 26 नवम्बर को कानून दिवस मनाया जाता है लेकिन 26 नवम्बर 2015 से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉ भीमराव अंबेडकर की 125 जयंती के शुभ अवसर पर संविधान दिवस मनाने की घोषणा की। तब से  देश के सभी सरकारी कार्यालयों ,सभी शैक्षणिक संस्थायों में संविधान दिवस मनाया जाता है । इस दिन भारत के लोगों को संविधान के उद्देश्य उनके अधिकार संविधान की जानकारी और संविधान बनाने में सबसे बड़ा योग्दान देने  वाले  डॉ बाबा साहिब अंबेडकर की भूमिका उनके विचारों से अवगत कराना ही संविधान और कानून दिवस का उद्देश्य है। भारत का संविधान सबसे लम्बा लिखित संविधान होने के साथ जीवित भी है ।इसमें बदलते परिवेश के साथ संशोधन करने कि सुविधा भी मौजूद है । अब तक इसमें सैकड़ो संशोधन किए जा चुके है ।यह जितना लचीला है उतना कठोर भी। संविधान के सबसे लम्बा होने के कारण भारत सबसे बड़ा गणतांत्रिक देश  है ।
आज संविधान दिवस मनाने का पांचवा अवसर है लेकिन अधिकारों से वंचित गरीब, अम्बेडकरवादी और बौदिष्ट दशकों से सड़क और गलियों में संविधान दिवस मनाते रहे है ।लेकिन संविधान का संचालन गली और सड़क से नहीं संसद   और सरकारी दफ्तरों से होता है।ये सोच समझ भारत के लोगों में पैदा हो इस दृष्टि से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानून दिवस के साथ संविधान दिवस मनाने की शुरुआत की ।
वैसे किसी भी धर्म से अधिकार साकार नहीं होते। संविधान ही अपने राष्ट्र के नागरिकों को  अधिकार  देने के साथ साथ रक्षा की गारंटी भी देता है । संवैधानिक लोकतांत्रिक भारत के राष्ट्रपिता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने सामाजिक आर्थिक समानता की प्राप्ति को संविधान की सफलता बताया ।

लेखक
आनंद जोनवार

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