जीवन का अमूल्य सुख नींद
नींद का सुख
किसी ने सच ही लिखा है "चांद की चांदनी , तारों की छाओ में एक पालकी बनाई है , ये पालकी मैंने बड़े प्यार से सजाई है, ये हवा जरा धीरे चलना ,मेरे दोस्त को बड़ी प्यारी नींद आई है।"
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• नींद कितनी जरूरी है ? यह तस्वीर बयां कर रही है , नींद के लिए घर , कमरा या गद्दे जरूरी नहीं है , जरूरी है तो प्रेम का आंचल ।
• हरेक की धरती मां होती है। नींद चारदिवारी में ही आए ज़रूरी नहीं । चारदिवारी ने तो नींद के सुख को चारों तरफ से घेर लिया है जिससे उसका दम घुटने लगा है । तभी तो यह चार दिवारी की कैद से निकलकर प्रकृति में अपने घर आने के लिए व्याकुल है । प्रकृति की गोद में सुकून भरी नींद मन को आनंद से त्रप्त कर देती है । पुलिस बदमाशों का डंडा उसके लिए घड़ी की सुई की भूमिका निभाता है । कभी जग जाता है तो कभी आलसी की तरह सोता रहता है । कुत्ता , बिल्ली भी अपना साथी समझ कर इसकी फटी चादर में अपना संरक्षण दूंढते हैं । लेकिन एक तरफ़ इसी की प्रजाति के लोग इसे परेशान करते हैं । तब किसी शायर ने कहा है ,"एक नींद है जो लोगों को रात भर नहीं आती ,और एक जमीर है जो हर वक्त सोया रहता है "। मुझे यहां न्यूटन का क्रिया -प्रतिक्रिया नियम याद आ रहा है जो लोग दूसरों को परेशान करते है असल में वो अपने आप में परेशान है। दुख दर्द तो तब होता है जब गहरी नींद में सुकून भरे सपनों को कुचल दिया जाता है । वो गहरी नींद में हमेशा हमेशा के लिए सो जाता है। उसके साथी दर दर तलाशते है । लाख कोशिश करने पर भी जब वह नहीं मिलता तब उसकी याद में वो भी इस जगह को हमेशा के लिए छोड़ जाते हैं। कुचलने वाले तर्क पर तर्क देकर सो रहे को गलत ठहराता है और अपने आपको जागरूक कहते हैं । जागरूक ही अनिद्रा से परेशान है । वह स्वं में है, कहीं ओर नहीं ,वह भी बिना कीमत के । यदि जीवन में नींद नहीं तो जीवन, जीवन नहीं नर्क हो जाता है । और मिल जाए तो जीवन सुखमय हो जाता है । बुद्ध विचार "दुनिया की कोई भी चीज कितनी भी कीमती हो परमात्मा ने जो आपको नींद शांति आनंद और इससे भी ज्यादा जो जीवन दिया है , उससे ज्यादा कीमती कोई चीज नहीं है।" जीवन और मृत्यु के बीच नींद एक कड़ी होती है तब व्यक्ति कहता है ,"उम्र अपने हसीन ख्वाबों की मैंने तो तेरे प्यार को दे दी ......नींद जितनी थी मेरी आंखों में सब तेरे इंतजार को दे दी ! जब वह गहरी नींद में स्थाई सो जाता है "फिर सन्नाटा पसरा है, फिर खाली -खाली सा लगता है, फिर मन में सूनापन अाया फिर नभ सा एकांत दिखता है ,फिर नींद उचटती है ,मेरी तू दूर -दूर सा लगता है।
किसी ने सच ही लिखा है "चांद की चांदनी , तारों की छाओ में एक पालकी बनाई है , ये पालकी मैंने बड़े प्यार से सजाई है, ये हवा जरा धीरे चलना ,मेरे दोस्त को बड़ी प्यारी नींद आई है।"
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• नींद कितनी जरूरी है ? यह तस्वीर बयां कर रही है , नींद के लिए घर , कमरा या गद्दे जरूरी नहीं है , जरूरी है तो प्रेम का आंचल ।
• हरेक की धरती मां होती है। नींद चारदिवारी में ही आए ज़रूरी नहीं । चारदिवारी ने तो नींद के सुख को चारों तरफ से घेर लिया है जिससे उसका दम घुटने लगा है । तभी तो यह चार दिवारी की कैद से निकलकर प्रकृति में अपने घर आने के लिए व्याकुल है । प्रकृति की गोद में सुकून भरी नींद मन को आनंद से त्रप्त कर देती है । पुलिस बदमाशों का डंडा उसके लिए घड़ी की सुई की भूमिका निभाता है । कभी जग जाता है तो कभी आलसी की तरह सोता रहता है । कुत्ता , बिल्ली भी अपना साथी समझ कर इसकी फटी चादर में अपना संरक्षण दूंढते हैं । लेकिन एक तरफ़ इसी की प्रजाति के लोग इसे परेशान करते हैं । तब किसी शायर ने कहा है ,"एक नींद है जो लोगों को रात भर नहीं आती ,और एक जमीर है जो हर वक्त सोया रहता है "। मुझे यहां न्यूटन का क्रिया -प्रतिक्रिया नियम याद आ रहा है जो लोग दूसरों को परेशान करते है असल में वो अपने आप में परेशान है। दुख दर्द तो तब होता है जब गहरी नींद में सुकून भरे सपनों को कुचल दिया जाता है । वो गहरी नींद में हमेशा हमेशा के लिए सो जाता है। उसके साथी दर दर तलाशते है । लाख कोशिश करने पर भी जब वह नहीं मिलता तब उसकी याद में वो भी इस जगह को हमेशा के लिए छोड़ जाते हैं। कुचलने वाले तर्क पर तर्क देकर सो रहे को गलत ठहराता है और अपने आपको जागरूक कहते हैं । जागरूक ही अनिद्रा से परेशान है । वह स्वं में है, कहीं ओर नहीं ,वह भी बिना कीमत के । यदि जीवन में नींद नहीं तो जीवन, जीवन नहीं नर्क हो जाता है । और मिल जाए तो जीवन सुखमय हो जाता है । बुद्ध विचार "दुनिया की कोई भी चीज कितनी भी कीमती हो परमात्मा ने जो आपको नींद शांति आनंद और इससे भी ज्यादा जो जीवन दिया है , उससे ज्यादा कीमती कोई चीज नहीं है।" जीवन और मृत्यु के बीच नींद एक कड़ी होती है तब व्यक्ति कहता है ,"उम्र अपने हसीन ख्वाबों की मैंने तो तेरे प्यार को दे दी ......नींद जितनी थी मेरी आंखों में सब तेरे इंतजार को दे दी ! जब वह गहरी नींद में स्थाई सो जाता है "फिर सन्नाटा पसरा है, फिर खाली -खाली सा लगता है, फिर मन में सूनापन अाया फिर नभ सा एकांत दिखता है ,फिर नींद उचटती है ,मेरी तू दूर -दूर सा लगता है।
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