नाथ के प्रह्लाद बने सिंधिया

मध्यप्रदेश की राजनीति में हफ्तेभर से चल रही उठापटक ने एक नया रूप ले लिया है ।इस रूप ने नाथ सरकार के रंग उड़ा दिए है  वो भी होली के समय,जब  हर कोई एक दूसरे पर खुशहाली सम्पन्नता ,वैभव ,करुणा ,ज्ञान संबृद्धि अहिंसा के रंग एक दूसरे के जीवन में भरते है उड़ेलते है।सिंधिया रंग में कमलनाथ सरकार के साथ कांग्रेस की होली फ़ीकी पड़ गई है। गुरुग्राम ,बेंगलुरु, दिल्ली में विधायकों की मौजूदगी ने  मार्च की सर्दी में  राजनीति गर्माहट पैदा कर दी और कमलनाथ सरकार को भागदौड़ से पसीने छुड़ा दिए । किसानों और युवाओं में दम भरने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया को जब लगा की कैसे नाथ  सरकार उन्हें तवज्जों नहीं दे रहीं ।जबकि किसान और युवा दोनो ही पीड़ित है। इनकी समस्याओं को लेकर जब सड़क पर उतरे तो सरकार ने सुनने की अपेक्षा उकसाकर  सड़क पर उतरने की नसीहत के साथ उनके संघर्ष की अनसुनी कर दी।वैसे सिंधिया की अनसुनी राज्य और आला केंद्र नेतृत्व सरकार बनने से ही कर रहा था ।यह सिलिसला सातवें आसमान पर तब और पहुँच गया जब सिंधिया लोकसभा चुनाव हार गए।राज्य में  बार बार  बेइज्जती अनसुनी लगातार खटकने लगी ।उनके हाथ से एक के बाद एक मौका तूफान की तरह निकल रहे या टाल दिए जा रहे थे जो उम्मीद और आश्वासन पर टिका दिए जा रहे थे ।ये सब राज्य के मुखिया के हस्तक्षेप के  बिना संभव नहीं था ।जो एक साजिश के तहत हो रहा था या निति के इसे कमलनाथ  ही बता सकते है।अब जब सिंधिया ने कोंग्रेस से इस्तीफा दे दिया तो कमलनाथ  सरकार मुसीबत में नजर आ रही है   

सिंधिया के इस्तीफे से सरकार कितनी परेशान 
 ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे में 27 विधायक है जो उनकी एक आवाज पर साथ चलने के लिए हमेशा तत्पर रहते है इनमें 6मंत्री भी है।ये विधायक अभी सिंधिया के साथ है और मोबाइल बन्द बताये जा रहे है। इन विधायकों की बेरुखी  ने राज्य सरकार के लिए संकट खड़ा कर दिया है ।16मार्च से सरकार का बजट सत्र शुरू हो रहा है ।ऐसे में विपक्षी पार्टी बीजेपी फ्लोर टेस्ट करा कर सरकार को बहुमत साबित पेश  करने को कह सकती है। ऐसे में सिंधिया समर्थक विधायक या तो कमलनाथ सरकार के  पक्ष में वोट करेंगे या विपक्ष में ।पक्ष में करने से सरकार बनी रहेंगी।विपक्ष में करने से सरकार तो गिर जाएगी लेकिन विधायक पार्टी से  अपनी  सदस्यता खो बैठेगे और व्हिप के चलते विधायक से हाथ धो बैठेगे जिनमें से कई विधायक तो पहली बार चुनाव जीतकर आये है।ऐसे में इन्हें विधायिका खोने का डर बना रहेगा 

दूसरी संभावना यह बनती है कि बीजेपी फ्लोर टेस्ट ना कराके राज्यसभा चुनाव की 26 मार्च तक इंतजार करें। ऐसे में भाजपा को राज्यसभा की  1 सीट  की बजाय दो सीट मिल सकती है ।इन सीटों से बीजेपी ,कांग्रेस से भाजपा में आए दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा भेजकर केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाकर संतुष्ट कर सकती है ।लेकिन फ्लोर टेस्ट ना कराके राज्यसभा चुनाव में सिंधिया को भेजना बीजेपी के लिए किसी रिस्क से कम नहीं होगा ।क्योंकि बाद में सिंधिया समर्थक विधायक बात मान भी सकते है और नहीं भी ।यह नहीं कहा जा सकता ।इतना सब कुछ हो जाने के बाद ये तो तय है कि कमलनाथ सरकार मुसीबत में है भले ही इस बात को शुरू से  दरकिनार कर रहे थे।जिसे लेकर  मीडिया के बार पूछने पर मना कर रहे थे।

कहां से उपजा सिंधिया समीकरण ,और बिगाडा कमलनाथ का गणित
2018 मध्यप्रदेश  विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की और से सबसे अधिक ताबड़तोड़ रैली करने वाले सिंधिया थे ।जिन्होंने 110 से अधिक रैली और 12 रोड शो किए जो किसी भी वरिष्ठ कॉंग्रेस नेता से सबसे अधिक थी ।युवा नेता होने के साथ युवाओं में  अच्छी खासी पकड़ और किसानों के हितैषी होने के चलते मध्यप्रदेश के कोने कोने में रैली की , जनता का भरपूर सहयोग और समर्थन मिलने का नतीजा ये हुआ  राज्य में पार्टी की वापिसी हुई ।लेकिन बात जब मुखिया बनने की आई तो  राहुल गांधी के हाथ का साथ मिला कमलनाथ को ।जिन्होंने केवल 68 सभा की ।इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सिंधिया में उस समय इसे लेकर कितना रोष होगा ।लेकिन वो इस गुस्से को शांति से झेलते रहे।बात आगे बढ़ते बढ़ते प्रदेशध्यक्ष पर टिकी जिसे राज्य के प्रदेशाध्यक्ष ,प्रदेशाध्यक्ष को तय करने लगे आलाकमान शीर्षस्थ नेता इस पर चुप्पी साधे हुए थे ।बार बार  प्रदेश अध्यक्ष की टालमटोल और अब राज्य सभा सीट के लिए चुनाव  सिंधिया के गुस्सा और तवज्जो को रोक नहीं पाया ।सिंधिया ने 18 साल से शामिल पार्टी का पाला बदलकर बीजेपी में जाकर कांग्रेस पर ऐसा गुलाल फेंका है कि उसका खुद का रंग ढंक गया है ।

कांग्रेस क्या कर सकती है ?
1.सिंधिया समर्थक सभी विधायकों को खुश करें।

बीजेपी क्या कर सकती है ?
राज्यसभा चुनाव तक इंतजार कर सकती है ।
 सिंधिया को प्रदेश की राजनीति में शामिल कर सकती है ।यहां तक कि सीएम की कुर्सी सौप सकती है इसकी संभावना है लेकिन कम, यहां बीजेपी सत्ता में आने के लिए चौधरी चरण सिंह गेम प्लान कर सकती है।
3.फ्लोर टेस्ट करवा सकती है । 

सिंधिया राज्यसभा पहुँचकर कमलनाथ सरकार गिरा सकते है।या मध्यप्रदेश बीजेपी सरकार में अहम रोल निभा सकते है ।
कांग्रेस के पास अभी 114 सीट है 7 अन्य समर्थक विधायक जिनमें 2 बसपा ,1 सपा,4 निर्दलीय है ।वहीं बीजेपी के पास 107 सीट है ।2 सीट अभी रिक्त है जिन पर चुनाव होने है । ये विधानसभा क्षेत्र  जौरा और आगर मालवा  है । बीजेपी और कांग्रेस में अन्य दलों को छोड़ दिया जाए तो सात सीट का अंतर है ।जो बहुत ही कम  है ।

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

रंगहीन से रंगीन टीवी का बदलता दौर और स्क्रीन

विकसित भारत का बीज बच्चों की बेहतर शिक्षा और सपने

हर गुलामी और साम्प्रदायिकता से आजादी चाहते: माखनलाल