आधुनिक भारत में पत्रकारिता की शुरुआत

वैसे तो   विज्ञान कि भाषा में हिकी को  एक छोटी सी सूजन की ऊंचाई कहा जाता है । पत्रकारिता में ऐसी गर्म ऊंचाई आज से 239 साल पहले 1780 में देश के पहले अंग्रेजी भाषा न्यूजपेपर बंगाल गजट कोलकाता के प्रकाशन  से  उठी  ।  29 जनवरी 1780 को प्रकाशित  अंग्रेजी भाषा के  चार पृष्ठ का अकबार सप्ताह में एक बार प्रकाशित होता था इसके प्रकाशन से ब्रिटिश शासन में खलबली मच जाती थी । हिक्की निडर  निष्पक्ष लिखने के लिए जाने जाते थे। उन्होंने आधुनिक भारत  में पत्रकारिता की नींव डाली । अपनी निष्पक्ष लेखनी से किसी भी को नहीं बख्शा। यहां तक की वायसराय जैसे ताकतवर और ओहादागर  वारेन हेस्टिंग के द्वारा किए गए कंपनी के धन का निजी हित में उपयोग किया जाना भी उनकी कलम से नहीं बचा ।उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा एक  निडर अंग्रेज कि सच्ची  निष्पक्ष पत्रकारिता अंग्रेजों को रास नहीं आ रही थी  ।बंगाल गजट भारत और प्रकाशित होने वाला एक अंग्रेजी भाषा का पहला समाचार पत्र था। इस गजट की प्रकाशन का एक कारण बाजार के लिए सूचना उपलब्ध कराना था। साथ ही  अंग्रेजी प्रशासन में  व्याप्त भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के समाचार प्रमुखता से प्रकाशित होते थे ।भारत में मुद्रित पत्रकारिता का प्रारंभ करने का श्रेय इन्हीं को  जाता है बंगाल गजट आर कोलकाता जनरल एड एडवरटाइजर नामक यह पत्र बंगाल गजट या हिक्की गजट के नाम से भी प्रसिद्ध था । पत्र के प्रथम  प्रवेशांक में स्वय को   ऑन रेवल कंपनी का मुद्रक घोषित किया । ये  भारत के पहले पत्रकार थे जिन्होंने प्रेस की स्वतंत्रता के लिए ब्रिटिश सरकार  से संघर्ष किया।  बिना डरे अखबार के जरिए भ्रष्टाचार और ब्रिटिश शासन की आलोचना की
अंग्रेज अधिकारियों को उनकी आलोचना नागवार गुजर रही थी उन्होंने बंगाल गजट  को रोकने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाना शुरू कर दिए। वारेन हेस्टिंग  की पत्नी और कुछ अन्य आला अफसरों के विरुद्ध व्यक्तिगत व तीखे प्रहार किए ।तब हिकी गजट को ( जिपीओ) जनरल पोस्ट ऑफिस के द्वारा समाचार पत्र भेजने की सुविधा से वंचित कर दिया गया उन्होंने अंग्रेज अधिकारियों के खिलाफ कठोर और निंदात्मक  भाषा का उपयोग  किया उन्होंने अपने पत्र में वारेन हेस्टिंग्स को मिस्टर ऑन  रॉन्ग  हेड , डिक्टेटर, द ग्रेट मोगल कहा।
भारत में पत्रकारिता पर प्रशासकीय अंकुश ब्रिटिश शासकों द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार की आलोचना  मुख्य वजह रहीं।  फिर भी हिकी ने अपने अखबार में छपने से परहेज नहीं किया।
।अपनी इस दुस्साहस का अंजाम भारत को छोड़ने के परिमाण के तौर पर झेलना  पड़ा। ब्रिटिश शासन की आलोचना करने के कारण बंगाल गजट को जप्त कर लिया गया था । 23 मार्च  1782 अखबार का प्रकाशन बंद कर दिया  गया ।यह भारत में समाचार पत्र शासन के बीच टकराव की प्रथम घटना थी
आनंद जोनवार

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