मुद्दे कितने ,कौन सा सार्थक

वास्तविक मुद्दे,मंदिर,मस्जिद, मन की बात ,  मेगा रोड शो राजनीति में सार्थक कौन  ?
लोकसभा चुनाव  सातवें चरण के साथ  समाप्ति के कगार पर है । 19 का आम चुनाव 19 मई को उम्मीद के साथ संपन्न हो जाएगा ।भारतीय संस्कृति  में सात को शुभ अंक मानने की परंपरा है।जीवन साथी के रूप में सात जन्मों का सम्बंध इन्हीं सात फेरों से सम्पन्न होता है ।चुनावी रण का सातवां चरण किसका साथ देता है ।भारतीय निर्वाचन आयोग ने भी हिंदू परंपरा  को स्वीकार कर सात चरणों में सम्पन्न कराया गया आम चुनाव ।  संसद में बैठी  बीजेपी सरकार जो सभी राजनैतिक पार्टियों के घेरे में है सात  चरण के फेरे सरकार के  मुद्दों का  साथ  देने में  कितना समर्थ  होंगे । 23 मई को मालूम होगा ।  सवा सौ करोड़ जनसंख्या  वाले  देश के चुनाव में सड़क के वो मुद्दें जो मनुष्य  को सड़क पर लाकर खड़े कर देते है राजनैतिक रोड से  नदारद रहे ।इनमें प्रमुखता से सूखे पड़े भारत में समुद्र पानी को रिवर्स ऑस्मोसिस से पीने योग्य बनाना, स्वास्थ्य ,शिक्षा ,सुरक्षा, सकुशल रोजगार ,स्थायी विकास,पर्यावरण संपदा को सुरक्षित,शेयर मार्केट में गरीबों का शेयर,कुपोषण एक गम्भीर समस्या , आदिवासी को जल, जंगल,जमीन पर अधिकार जिससे भारत की अमूल्य मूल संस्कृति बची रहे ,अनेक ऐसे मुद्दे चुनावी शोरगल में भोपियों से सुनाई नहीं दिए। मंदिर, मस्जिद, धर्म अधर्म,हठयोग,भगवा,भगवान की भस्म पूजा,भ्रष्टाचार ,अपशब्द बयानबाजी ,सुप्रीम औरआयोग का दायरा और फैसले ,आचार संहिता का दनादन उल्लंघन जैसे मुद्दों ने  धरातलीय मुद्दों को सड़क,समाचार,सरकार के साथ साथ शिक्षित लोगों की सोच  और राजनीति गलियों से गायब कर दिए ।गलियों से निकली गालिब जनता मेगा रोड शो में शामिल हो गई । भारतीय इतिहास में मेगा रोड शो  जैसा प्रदर्शन जीत के जश्न का प्रतीक है । हर पॉलिटिकल पार्टी ऐसा रोड शो कर अपनी जीत सुनिश्चित करने का प्रयास करती है । ट्रैफिक समस्या के साथ  करोड़ो रुपये  खर्च का रोड शो कितना शोभनीय और सार्थक है। जनता और नेता दोनों को इस बारे  सोचना चाहिए ।  देश के साथ साथ विदेशों में चर्चित धर्म राजनीति की प्रोयगशाला रही भोपाल लोकसभा सीट  आने वाले समय में अनेक प्रशनचिह्न छोड़ जाएगी ।प्रश्नों की कतार में धर्म अधर्मी कौन, हारने वाले के पक्ष में वोट करने वाले मतदाता क्या अधर्मी होगें, साधू -संतो पर भरोसा बढ़ेगा या कम होगा, हठ योग कितने हद तक  कामयाब और नाकामयाब ,ध्रुवीकरण ,राजनीति में कद किसका बढ़ेगा सन्यासी या सत्ताधारी,जातिगत संकीर्ण सोच ।  धर्मनिरपेक्ष देश में धर्म की  राजनीति लाभदायक या नुकसानदायक आने वाला समय बताएगा ।इतिहास गवाह है धर्म की  राजनीति में  हमेशा देश को नुकसान ही हुआ है ।तब भी मन की बात नहीं हो रही । चुनावी शोरगुल में वास्तविक मुद्दे मौन रहे ।शांत होते  शोरगुल में दफन सड़क के मुद्दे संसद, सत्ता ,सरकार में कितने  गूजेंगे। आने वाले 5साल में देखना होगा।

लेखक
आनंद जोनवार

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