जल से जूझता भारत ,मंडरा रहा सूखे का खतरा

दुनिया आज जल के संकट से जूझ रही है ।भारत भी इससे अछूता नहीं है। जीवन की उत्पत्ति  ही जल में हुई है ।तभी कहा जाता है जल ही जीवन है ।जल के बिना जीवन जीना संभव नहीं है ।जन जन को जल की जरूरत है ।भीषण गर्मी में जल स्रोत सूखने से जनता पानी को तड़प रही है।जल संकट से जुड़ी खबरे देश के कोने कोने में देखने को मिल  रही है। देश जल संकट की चपेट में है । पूरे देश पर सूखे का खतरा मंडरा रहा है ।पानी पाने की जद्दोजहद में कहीं कहीं  जगह झगड़े भी हो रहे। जन की जल पर जंग जारी है ।लोहे को जंग से नष्ट करने वाले  जल पर जन एक दूसरे की जान लेने को उतारू हो  गए है। पहले पानी के स्रोतों पर ध्यान केंद्रित नहीं किया गया।असीमित मात्रा में अनावश्यक उनका दोहन किया गया ।फिजूल में जल की  बर्बादी की  । धीरे धीरे जल संकट  ने  विकराल रूप  ले लिया ।तपते वातावरण, ऊपर से पीने के  पानी की कमी में  जनता का जीना दुर्बल हो गया है। भीषण गर्मी में लाखों जीव जंतुओं की जाने चली गई।  जानो का यह सिलसिला कब  थमेंगा पता नहीं । मानव के साथ साथ पक्षी जंतु एक एक बूंद को तड़पते हुए बिलख रहे है । कुएं तालाब नदियां सूखी पड़ी है ।डैम दम तोड़ते दिख  रहे है ।नलों में जल नहीं ।नल परियोजनाएं फाइलों में दब गई ।घरों में  घूंट घूंट बूंद दूर  से लाना पड़ रहा है। ज्यादातर जिले सूखे की मार झेल रहे है ।जल से जूझते मन में एक सवाल कौंद रहा है ।आखिर ये पानी गया कहां ?।अभी ये हालात हो गए ,सोचना होगा आने वाले समय में क्या भयानक स्थिति होंगी ?।एक एक बूंद की कीमत क्या होती  है? इनसे जानना जरूरी है ।ऊपर से पानी टपक नहीं रहा ,बादल रूठे है, जमीन  पानी उगल नहीं रही ।ऐसे में प्यासा क्या करें?आसमान से बरसात की आस लगाकर बैठा है ।कई गांव भीषण गर्मी और जल की मार झेल रहे है । इन गांवों में कोसों दूर से  बच्चे बूढ़े महिलाओं को पानी ढोना पड़ रहा है।मजबूरी में ना  पीने योग्य  पानी को पीना पड़ रहा है ।जिससे कई स्वास्थ्य समस्याएं जन्म ले रही है।  कई इलाकों में एक गड्ढा पूरे गांव की प्यास बुझा रहा है। ।यह कभी भी  दम तोड़ सकता है। गहराता जल संकट  पलायन करने को मजबूर कर देता है ।सरकार और समुदाय को  सामने आ रही जल संकट  समस्या का समाधान ढूंढना होगा । स्रोतों का  संरक्षण के साथ साथ  सुरक्षा करनी होगी। बहते  पानी को  इक्ट्ठा करना होगा  ।बरसात के पानी को व्यापक रूप से स्टोर करने की  जरूरत है।सरकार   स्रोतों को अतिक्रमण से   बचाएं। तब जाकर जिंदगियां बच पाएगी ।

लेखक
आनंद जोनवार 

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