अमित की अमिट एतिहासिक छाप ,मगर?।देश हित

  लोकत्रांतिक व  संवैधानिक आधुनिक भारत की संसद  में वैसे तो समय समय पर न्याय प्रक्रिया का इस्तेमाल ना करते हुए  बेहतर और देश हित में फैसले लिए गए है । अनुच्छेद 370  हटाना भी इसी तरह का फैसला है जो देश हित में है।जम्मू कश्मीर राज्य में हर भारतीय का पैसा खर्च किया जाता रहा विकास के नाम पर ,पर उस गैर जम्मू कश्मीर  भारतीय नागरिक को वहां के संविधान ने अधिकारों से दूर रखा जिनमें प्रमुखता से वहां के विश्वविद्यालय से दूर , नौकरियों से दूर ,लड़की की भारतीय नागरिक से शादी करने पर उसकी जम्मू कश्मीर  की नागरिकता रद्द कर देना मुख्य है ।370 भारतीय संविधान के मूल्यवान अधिकारों को रोकती थी । आर्टिकल  370 को जम्मू कश्मीर राज्य ने खो दिया या   बंदूक की नोंक पर भारत सरकार ने  घाटी की बिना  रजामंदी सहमति और विश्वास के   उनके संविधान  को निष्क्रिय कर दिया  राज्य का यही संविधान भारतीय संविधान को उन पर लागू  करने की अपील भी करता है ।राज्य के संविधान ने यह अधिकार राज्य विधानसभा को सुपुर्द किये थे । भारत सरकार का  राज्य के विलय के समय राज्य को  आश्वासन  था कोई चीज थोपी नहीं जाएगी । भारत सरकार अपने आश्वासन से  मुखर जाएगी   ऐसा राजा हरि सिंह को  लगा  ।तभी तो भारतीय संविधान में 370 को जोड़ा गया ।बंदूक की नोंक और खाकी के खौफ से यदि घाटी में खुशहाली नहीं पनपी तो भारत सरकार के लिए यह बेहद शर्मनाक और अतंर्राष्ट्रीय स्तर पर मजाक का विषय बन सकती है । डर इस बात का  है कि रक्षा के लिए पहनाई गई पुलिस की वर्दी कहीं उनमें विद्रोह की भावना नहीं जगा दें।ऐसा हुआ तो सरकार को अपने कदम पीछे हटाने पड़ेंगे।  समय ने आश्वासन से मुखरती हुई सरकार भी दिखा दी।संसद में समय समय पर जनता की उठती मांगों से लद्दाख  अलग यू टी बना है।ऐसा केंद्रीय कैबिनेट का कहना है ।कल अगर जम्मू कश्मीर में  फिर से स्पेशल दर्जे की मांग उठने लगी तो भारत सरकार क्या देगी? वैसे भी  महात्मा गांधीजी ने कहा था  रास्ते वो हो जिसमें सब की सर्वसहमति  हो ।खास तौर पर संविधान में तो और ।।मैं तो यही कहूंगा मोदी  सरकार ने 370 हटाई ही है भारत सरकार  अपने आश्वासन से मुखर गई जो विलय के समय भारत सरकार ने किया था ।कानून बनाते समय  कानूनी प्रक्रिया का उदाहरण भी प्रस्तुत होना चाहिए ।

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