आस्था की मौत

लापरवाह  भोपाल: आस्था शौक मौत शोक संवेदना और सबक

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल शहर में सरकार चलाने वाले नेता और प्रशासनिक अफसरों के रहते हुए भी उनके सामने उनके अपने निवासरत शहर में मौत का ये  खेल चलता रहा ।पुलिस हेड क्वार्टर और नगर निगम से महज  चंद  कदम दूर भगवान के भक्त पानी में गोते खाते हुए एक दूसरे का हाथ थामे हुए चीखते चिल्लाते रहे ।फरिश्ता बनकर आया नितिन मौत के भंवर में अकेला  जूझता हुए6 जिंदगियां बचाने में कामयाब हुआ।बालक चिल्लाते रहे पुकारते रहे बचाओ बचाओ बचा लो बचा लो पर बहरे अधिकारीयों के कान तक नहीं फड़फड़ाए ।भक्त अंतिम सांस तक चिल्लाते पुकारते रहे । अंत में जब कोई नहीं पहुँचा तब ये सांसे हमेशा हमेशा के लिए थम गई। ये वो आवाजें थी जो  मोहल्ला और घरों में गूंजा करती थी।एक बस्ती के 12 घरों की आवाज अब कहां गूंजेगी । ये गरीब की झोपड़ियों की आवाजें थी ।जो कहीं ना कहीं आस्था के नाम पर लापरवाही  के कारण मौत का शिकार बनी । मोहल्ला वासियों के कानों में जब ये आवाजें सुनाई  देगी तो उनकी आंखों से सिर्फ आंसू की नम धारा ही बहेगी। उनके साथी कैसे उन्हें भूल पाएंगे ।इस दर्दनाक तड़पती घटनाओं को जिसके वे प्रत्यक्षदर्शी बने हुए थे जो रास्तों में साथ साथ ढोल नगाड़ों के साथ गणेश गीत गाते हुए थिरकते हुए वहां पहुंचे थे ।उन्हें क्या पता था यहाँ  मौत का घाट है ।काश एक पल उन्हें कोई रोक लेता तो खटला पुरा की घटना किसी को खटकती नहीं घटना टल जाती मौत भी नहीं होती ।खुशियों का एक पल गम में नहीं बदलता। कुंभकरण की नींद में सोए प्रशासनिक अधिकारी जागे भी तो मौतों की गिनती करने के लिए। प्रशासन की जिम्मेदारी होती है ऐसी घटनाओं को घटना होने से रोकना जो  मानवीयता इन्होंने उठाकर रख थी । आस्था के नाम पर ऐसी घटनाएं  कलंक बन जाती है ।सरकार मौतों पर संवेदना व्यक्त करने के साथ-साथ सबक ले। ताकि  ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो ।
इसके लिए सरकार को कड़े कदम उठाने होंगे।सरकार से उम्मीदें        
-१बड़ी बड़ी मूर्ति पूजा पर प्रतिबंध 
२  मूर्ति विसर्जन पर रोक   
३केवल इकोफ्रेंडली कह देने या मूर्ति बनाने से प्रदूषण कम नहीं होगा ।अन्य प्रकार के जैसे ध्वनि प्रदूषण ,मिट्टी का स्वच्छ जल में मिलना भी अपने भविष्य में पीने के पानी को खराब करना अपने पैर में कुल्हाड़ी मारना है सोचो यदि ये देश व्यापी है तो हम अपने जल स्रोतों को आस्था के नाम पर नुकसान पहुँचा रहे है ।इसलिये सभी प्रकार के विर्सजन पर रोक लगाना चाहिए ।
४चल समारोह पर रोक   
५ व्यक्तिगत आस्था  व्यक्तिगत घरेलू पूजा पर सरकार को जोर देना चाहिए ।जिससे आस्था के नाम पर होने वाली  मौते  से बचा जा सके ।

लेखक
आनंद जोनवार

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