बाढ़ में बांध की भूमिका

सत्ता के सर्वे और मुहावजे में किसान 

मध्य प्रदेश में लगातार भारी बारिश से किसानों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए सरकारें एक-दूसरे पर आरोप लगा रही हैं ।राज्य सरकार केंद्र पर तो केंद्र सरकार के नेता राज्य सरकार पर मुआवजे को लेकर आरोप लगा रहे हैं। राज्य सरकार के मंत्री केंद्र को दोबारा सर्वे करने की नसीहत दे रहे है । तर्क में कहा जा रहा है  केंद्र की समिति जिस समय सर्वे करने आई उस समय खेतों में पानी भरा हुआ है ।खेत तालाब बन चुके है ।बस्तियां पानी पानी हो गयी है ।ऐसे में सही सही  सर्वे करना मुश्किल है ।वहीं विपक्ष कमलनाथ सरकार पर मुहावजे देने का दबाव डाल रही है । राज्य के मुखिया कमलनाथ  बाढ़ पीड़ितों और बर्बाद किसानों को कुछ राहत कि घोषणा कर केंद्र सरकार से राहत पैकेज की मांग कर रहे है ।अनुमानित रुप से ये राहत पैकेज करीब 12 हज़ार करोड़ रुपए का लगाया जा रहा है।राज्य सरकार के मंत्री भाजपा नेताओं से केंद्र सरकार से रुपये मांगने की बात कह रहे है तो वहीं पूर्व सी एम शिवराज सिंह चौहान राज्य सरकार पर एक भी कोरा चिठ्ठा केंद्र सरकार को ना भेजने का आरोप लगा रहे है। आरोपों के  वार पलटवार का ये दौर चलता रहेगा ।कुछ पीड़ितों को मिली राहत का ढोल पीटकर पीटकर मुहावाज़े का मुखौटा दिखाया जायेंगे।मैं सर्वे और मुहावजे पर सवाल ना खड़ा कर उस लहलहाते खुशनुमा जीवन पर चिंता कर ध्यान आकर्षित करवाना चाहता हूं।कि इन जिंदगियों को बर्बाद करने में कहीं हमारी विकासशील सोच तो नहीं।जिसके चलते हम उन गांव के लोगों को उसकी अपनी जमीन से बेदखल करना चाह रहे हो ।चिंतन मनन करने पर बाढ़ आने और बाढ़ जैसे हालात बनने में बांध के गेट खुलने की सरसराती आवाज सुनाई दे ही जाएगी ।ज्यादातर इलाकों में भारी बारिश के साथ साथ बांध भी बाढ़ की समस्या बना हुआ है ।जिन उद्देश्यों को लेकर ये डैम बनाये जाते है ।वो उददेश्य तो कभी पूर्ण होते नहीं ।कभी इन डैम के गेट सूखते किसान की फसल के लिए खुले है ? क्या इन डैमों ने गरीब गांव  का टेटूआं गीला किया है ? जवाब में नहीं ही मिलेगा ।दूर दूर तक जाओगे तो प्रकति का ये संरक्षक पानी की हमेशा मार झेल रहा है । डैम का पानी ना तो खेत की क्यारियों की सिंचाई करता ना गले की प्यास बूझाता है ।बांध बनने से लेकर बाढ़ तक एक समस्या है ।इस पर रिसर्च करने की जरूरत है ।क्योंकि बांध बनाने  पर ना जाने कितने गांव विस्थापित कर दिए जाते है ।बेदखल कर दिए जाते है वो सरकार के विकासीय मुहावजे पर। जलीय स्रोतों का जल प्रवाह भी कम हो जाता है इससे नदियों नहरों के छोटे छोटे जाल रूपी मार्ग बंद हो जाते है । भारी बारिश और डैम के गेट खुलते से ही ये मार्ग पानी पानी हो जाते है ।बंद हुए मार्ग सड़क बना दी जाती है सड़क किनारे घर बन जाते है  ये घर ही बाढ़ के समय पानी टैंक बन जाते है।तो कहीं कहीं बाढ़ में बांध भी भूमिका होती है ।

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