शौच पर गंदा कौन सड़क सरकार या सोच ?

शौच पर गंदा कौन सड़क या सोच?
मध्यप्रदेश के शिवपुरी में 21 वी सदी के भारत की सोच सामने आई है । सिरमौर थाना के भावखेड़ी गांव में दबंगो ने 2 दलित बच्चों की बेरहमी से पीट पीट कर हत्या कर दी ।बताया ये जा रहा है कि बच्चे सड़क पर सोच कर रहे थे।तभी दबंग यादव वहां से निकले और उन अबोध अनजान मजबूर बच्चों से कहने लगे तुम सड़क गंदा कर रहे हो ? इसी के साथ लाठीयों की वर्षात करते हुए 10 साल के अविनाश और13 वर्षीय रोशनी को  लाठियों से मारना शुरू कर दिया जिसके चलते दोनों निर्धन परिवार के बच्चों की हत्या कर दी गई  गई । मासूम बच्चों की हत्या से पूरा परिवार स्तब्ध और सदमें में है।झोपड़ी में रहने वाले इन बच्चों के घर में मातम और सन्नाटा पसरा हुआ है।सदियों से खामोश झोपड़ी की आवाज 21 वी सदी में दबा दी।अमेरिका में 130 करोड़ भारतवासियों का सम्मान बढ़ाने वाले पी एम नरेंद्र मोदी क्या इन करोड़ो देश वासियों में  झोपड़ियों में रहने वाले ये गरीब परिवार भी है ?।पीएम की शौच मुक्त भारत योजना कागजों और भाषणों में है ।तभी तो भावखेड़ी गांव खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषित है ।ओडीएफ घोषित के बावजूद भी दलित घर में शौचालय नहीं बने। गांव के 90 प्रतिशत लोग खुले में शौच करते है ।क्योंकि पीने के लिए पानी उपलब्ध नहीं है ,शौच के लिए कहां से लेकर आए पानी।जिसके चलते बच्चे बारिश के मौसम में सड़क पर टट्टी करने को मजबूर होते है ।हर परिवार जो गांव में बसा हुआ है उसने सड़क पर टट्टी की है ।शौच मुक्त कह देने मात्र से शौच मुक्त भारत नहीं हो सकता ।हत्या करने वाले आरोपी परिवार के सरपंच ने ना तो इस दलित परिवार को आवास दिया ना शौचालय ।हम झूठी शौच मुक्त भारत की बात UN सभा में कर रहे है ।जब आवास ही नहीं है तो शौचालय कैसे संभव है । इसी गांव में पीने के पानी के लिए घण्टों भर हैंडपम्प पर लाइन में इंतज़ार करना पड़ता है ।पानी की सुविधा ना होने के बावजूद भी दबंग शौचालय की बात कर रहे है ।जो हैंडपम्प से पानी नहीं भरने देते ।सड़क पर शौच करना इतना बड़ा गुनाह कब से हो गया कि अपराधियों ने मासूमों की जान ले ली ।अपराधियों के मन दिमाग जहन  में शौच भरा हुआ है । न्यायालय टट्टी सोच रखने वाले अमानवीय  अपराधियों को फांसी की सजा दे ।तभी समाज में बढ़ते जातिवाद पर अंकुश लग सकेगा । कई गांव ऐसे है जिनमें पानी के अभाव में खुले में शौच करने पर जुर्माना वसूला जा रहा है ।

लेखक
आनंद जोनवार

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