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Showing posts from December, 2019

धर्म निरपेक्षता पर कलंकित कानून :CAA

CAA धरनिरपेक्षता मुस्लिम धर्म के अन्याय के साथ पूरी मानव सभ्यता को काले धर्म के चश्मे से देखती है वो एब ओरिजिनल भूसुर प्रकृतिवासी प्रेमी जिसका धर्म से दूर तक कोई वास्ता नहीं...

पंचायतों को मिले स्पेशल पॉवर

पंचायती राज शासन का विकेन्द्रीयकरण सुनिश्चित करने की एक व्यवस्था है । आजाद भारत में इसकी शुरुआत 24 अप्रैल 1993 से हुई ।वैसे भारत के प्राचीन इतिहास में पंचायत कीव्यवस्था थी ।स...

बच्चे बोलते है?

बच्चें किसी देश के विकसित भविष्य के पेड़ का वो बीज होता जो जितना स्वस्थ होगा पेड़ भी उतना विकराल रूप लेगा।विकसित भारत के बीज बच्चें गर्भ से लेकर जब तक समझने योग्य नहीं बन जाते...

बिगड़ती अर्थव्यवस्था का जिम्मेदार पश्चिमी अर्थव्यवस्था

गुलामी से आजादी मिलने के बाद भारत के भाग्य में  भूख मिली और हाथ में गरीबी । स्वंत्रत भारत पंचवर्षीय  योजनाओं से विकास की रफ्तार पकड़ ही रहा था कि दुनिया में पूंजीवाद निजीकर...

आधुनिक भारत के राष्ट्रपिता डॉ अम्बेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस

विश्व की महान विभूतियों में शामिल युग प्रवर्तक डॉ बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने  विश्व के बदलते वातावरण में एक नई आर्थिक नीति के माध्यम से सामाजिक व आर्थिक क्रांति को विश्व पटल पर रखा।1931 के गोलमेज सम्मेलन में श्रमिक भारत के करोड़ों दलितों की सामाजिक एवं आर्थिक दुर्दशा का चित्र ,अंग्रेजी शासकों से अधिकार हासिल करना ,उनकी निर्भीकता योग्यता को बताता है । श्रमिक एकता क्रांति के सूत्रधार बने डॉक्टर अंबेडकर ने व्यावहारिकता के अनुरूप पूंजीवाद एवं सामंतवादी व्यवस्था में श्रमिकों को मुक्ति दिलाने के लिए राज्य समाजवाद की ओर समाज को मोड़ा और एक नया रास्ता दिखाया । जो डॉ अम्बेडकर की सामाजिक आर्थिक क्रांति की आधारशिला है। व्यवहारिकता के पक्ष में मानवीय मूल्यों को सर्वोपरि बताया । महान अर्थशास्त्री डॉ अम्बेडकर ने शुद्ध आर्थिक क्रांति से कई अधिक मानवीय मूल्यों को ऊपर उठाने के लिए सामाजिक बदलाव को जरूरी समझा और आर्थिक प्रजातंत्र की वकालत करते  रहे।  संविधान सभा के समक्ष अपना स्पष्ट विचार रखते हुए डॉ आंबेडकर ने कहा था 26 जनवरी 1950 को हम विरोधाभास के जीवन में प्रवेश कर रहे हैं एक तरफ राजन...

भोपाल गैस त्रासदी की पीड़ा के पैंतीस साल

भोपाल गैस त्रासदी 3 दिसम्बर 1984  आधुनिक युग की दुनिया के इतिहास में काली परेड के यूनियन कार्बाइड कारखाने द्वारा कीड़े मकोड़ों को मारने वाले रसायन मिथाइल आइसोसायनाइड के खौफ...

त्रासदी का दंश कब तक झेले पीड़ित

कहा जाता है पीड़ित को जानना समझना हो तो उसकी पीड़ा को महसूस कीजिए ।रोगी के रोग का इलाज कीजिये उसकी सेवा कीजिए ।वह आपसे  जरूर प्रभावित होगा इंसान को इंसानियत के नाते  ये सेव...