बच्चे बोलते है?

बच्चें किसी देश के विकसित भविष्य के पेड़ का वो बीज होता जो जितना स्वस्थ होगा पेड़ भी उतना विकराल रूप लेगा।विकसित भारत के बीज बच्चें गर्भ से लेकर जब तक समझने योग्य नहीं बन जाते तब तक पीड़ा समस्या झेलते रहते  है ।कभी कभी तो माँ के गर्भ में झेली पीड़ा जिंदगी भर झेलने पड़ती है ।प्रैग्नेंसी के दौरान रोगों की समस्या मां और बच्चे दोनों के लिए घातक होती है । रोगों से मुक्त करना स्वस्थ रखना उनकी सुरक्षा करना समाज सरकार की जिम्मेदारी है और उसका जीने का अधिकार भी ।एक स्वस्थ जन समाज और देश  के विकास के लिए काम करता है। अस्वस्थ आबादी के साथ कोई देश विकास का सपना नहीं  देख सकता । सरकार उच्च कुपोषण को छिपाकर विकास के पैमाना का कद जरूर बता सकती है।  दूर गांव में पिछडे क्षेत्रों में सेहत सेवाएं  गायब  है ।हम मातृत्व मृत्यु दर  बाल मृत्यु दर कुपोषण में सबसे ऊंचे पायदान पर है।गरीबी अशिक्षा कुपोषण के चलते गरीब लोग शहरों के बड़े बड़े अस्पतालों की दहलीज़ पार करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते।पैसा ना होने के कारण पीड़ा को सहते हुए झाड़ फूंक करने स्वयम्भू नीम वैध की शरण में जाकर आगे का भविष्य भाग्य भरोसे ईश्वर पर छोड़ देते है।गरीबी स्वास्थ सुविधाओं के अभाव और कुपोषण के कफ़न में लपेटे हुए लाखों बच्चों को  दशकों से दफ़न करते चले आ रहे है । सत्तर साल के मौत के समयरूपी गढ्डों की गूंज सरकारों से चार स्थानों पर रेंगने को कह रहे है। जो निर्बल अस्वत्रंत बेजुबान का अधिकार भी है । बच्चों के पोषण की व्यवस्था विशेषकर बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए, रोगों से बचाव के लिए स्वच्छता अभियान को और तेज करना, शुरुआती स्तर पर जांच पहिचान नियमित रूटीन चेकअप स्क्रीनिंग ,प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामान्य जिला अस्पताल सुपर स्पेशलाइजेशन के नए अस्पतालों का बड़ी संख्या में निर्माण एवं  कुशल संचालन वहाँ सुविधापूर्ण इलाज  ।तभी हर बच्चा  स्वास्थ्य सेहतमंद होगा ।किसी देश के बच्चो की सेहत वहाँ के जन संसाधन के स्वास्थ्य कि रक्षा आर्थिक उन्नति और उच्च स्तरीय जीवन जीने की मानवीय परिस्थितियों की बानगी होती है।

प्रेगनेंसी के दौरान  धूम्रपान करने से महिलाओं में इनफर्टिलिटी और मिसकैरेज का खतरा बढ़ने के साथ साथ  बच्चों की ग्रोथ  ठीक से नहीं हो पाती। ब्रेस्ट फीड कराने वाली महिलाएं यदि धूम्रपान करती है तो इससे ब्रेस्ट मिल्क की मात्रा कम हो जाती है जिससे बच्चों को पूरा पोषण नहीं मिल पाता। यदि कोई महिला प्रेग्नेंसी के दौरान सिगरेट पीती है तो भ्रूण में पल रहे बच्चे को भविष्य में गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ता है ।बच्चा  मोटापा  का शिकार होता है । वास्तव में  ऐसा गर्भ में उचित पोषण ना मिलने के कारण होता है ।गर्भवती  महिलाओं के घातक शौक उसके अपने बच्चे के लिए घातक बन जाते है ।इसमे उस  बेजुबान पल रहे भ्रूण का क्या दोष है ।बच्चों को ऐसी मां के पेट  के प्रदूषण से लेकर  वातावरण प्रदूषण से मुक्ति मिलना चाहिए ।उसे स्वच्छ साफ वातावरण में रहने का अधिकार मिलना चाहिए । इंडियन पीडियाट्रिक्स जनरल में छपी एक रिपोर्ट में लिखा है देश में 42 प्रतिशत बच्चे अनिद्रा का शिकार है ।जिसके चलते बच्चों का स्वाभाविक विकास नहीं हो पा रहा  है । ये सब फैमिली पृथक्करण , तकनीकी प्रभाव और इन डोर गेम्स के चलते हो रहा है । बच्चो की सामाजिक पहुँच बचपन से ही दूर हो रही है । इन सब के पीछे समाज का एक डरावना शरारती चेहरा  भी जिम्मेदार है ।जो  बच्चों को घर से  निकलने को नामंजूर करता है।उन्हें कम्युनिटी कांटेक्ट सेफ्टी विद हेल्थ राइट मिलना चाहिए ।भारत में सरकार और समाज मिलकर बच्चों को जन्म  के पहले क्षण से भूखे रहने का पाठ पढ़ाते है । आर्थिक तरक्की का दावा करने वाला देश कुल  41% बच्चों को जन्म के 1 घंटे के भीतर मां का दूध मिलता है । जन्म से 2 साल की उम्र में 90 से 95% बच्चे भूखे रहती है ।6 से 24 माह  के बच्चों को पर्याप्त ऊपरी आहार मध्यप्रदेश में केवल 6.6 प्रतिशत  बच्चों को मिल पाता है। बच्चों की बीमारी और मृत का सबसे बड़ा कारण कुपोषण है ।
नोबेल पुरस्कार विजेता ग्रेबिल मिस्ट्राल ने कहा था कि हम अनेक भूलो और गलतियों के दोषी हैं। लेकिन हमारा सबसे गंभीर अपराध है बच्चों को उपेक्षित छोड़ देना जो कि जीवन का आधार होते हैं।
व्यापक सामाजिक समझ तो यही है कि बच्चे कोई स्वतंत्र इकाई नहीं है वे तो व्यस्को  पर निर्भर है। अतः उनके बारे में कोई प्रत्यक्ष बात करने की जरूरत नहीं है।यह एक कमजोर सोच है। विकास के दौर में वयस्को ने अपने  इतने व्यापक कर लिए हैं कि उन्हें बच्चों के हित दिखाई देना बंद हो गए हैं। देश की 42% वर्तमान जनसंख्या और 100% भविष्य के बारे में ठोस विचारधारा और योजना बनाना जरूरी है ।

लेखक व चिंतक
आनंद जोनवार

Comments

  1. बहुत अच्छा लिखा आनंद जोनवार जी।समाज को सच्चाई से रूबरू कराया है।

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