नए राष्ट्र निर्माण का रास्ता - अम्बेडकर का मूकनायक
नए राष्ट्र के निर्माण का रास्ता- अंबेडकर का मूकनायक पत्रकारिता की प्रतिबद्धता का प्रतीक- मूकनायक "स्वाभिमान, स्वबल, समानता, समान अधिकार, स्वाधीनता, स्वराज, स्वतंत्रता, सुद्रढ़ता, संघर्ष, संगठन का संकेतात्मक प्रतीक है"- अंबेडकर 31 जनवरी 1920 को डॉ भीमराव अंबेडकर के भावी महान कार्य, विचारों की झलक दिखलाता समाचार पत्र मूकनायक का प्रकाशन हुआ था ।जिसका शताब्दी वर्ष है।सौ साल बीत जाने के बाद भी बाबा साहब के विचार वर्तमान दौर को सटीक राय दे रहे है। मूकनायक के कुल19 अंक निकले ।जिनमें शुरू के 12 अंक के प्रकाशन का संपादकीय स्वयं डॉ बाबासाहेब आंबेडकर ने किया।हालांकि संपादक के रूप में उनका नाम नहीं है ।क्योंकि उस समय वे सिडहेम कॉलेज के प्रोफेसर थे ।पर पत्र में उनके विचारों की झलक ,कार्यो की भागीदारी स्पष्ट नजर आती है । दत्तोबा पवार डॉ अम्बेडकर को पेपर निकालने की आर्थिक सहायता राशि के लिए राजर्षि शाहू महाराज के पास लेकर गए।इसी राशि से मूकनायक पाक्षिक निकला ।13 से 19 कुल 7 अंकों का संपादकीय ज्ञानदेव ध्रुवनाथ घोलप ने किया। अप्रिय प्रसंगों के साथ-साथ डॉ बाबा साहब को शिक्षा के ल