दिल्ली इवीएम में किसका निकलेगा जिन्न काम काल या कानूनी धर्म

काम काल कानून किस पर होंगा:  दिल्ली का फैसला

दिल्ली चुनाव में केजरीवाल  काम का दम भर रहे है जिसके बलबूते पर अपनी हैट्रिक लगाना चाहते है ।अन्ना हजारे का समर्थन पाकर राजनीति में हजारे की हड़ताल से हट कर सत्ता पर काबिज हो गए ।आप पार्टी के अरविंद केजरीवाल ने तीन कार्यकाल की कांग्रेस को भारी बहुमत से सत्ता से बाहर  कर दिया । इस चुनाव में कांग्रेस खाता भी नहीं खोल पाई ।और जीरो सीट पर सिमट गई ।एक तरफ नरेंद्र मोदी का लहर में पूरा देश जकड़ा हुआ था लेकिन दिल्ली की सत्ता से दो दशको से दूर बीजेपी  देश की सत्ता पर  प्रचंड जीत के बाद  काबिज होने की खुशी में दिल्ली की हार पर अधिक गम महसूस नहीं किया । क्योंकि अन्ना आंदोलन का कुछ हद तक फायदा बीजेपी को केंद  सरकार  की सत्ता से कांग्रेस को बेदखल करने में हुआ ।2015 के  मुकाबले दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस बार त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है ।केजरीवाल दिल्ली की स्वास्थ्य सेवा ,शिक्षा व्यवस्था के गुणगान के साथ फ्री बिजली, पानी ,महिलाओं के बस पास से तीसरी बार सरकार बनाने के लिए मूड में है ।उनके व्यवस्था और सुविधा में सेंध कांग्रेस अपने 15 साल के किये गए संरचनात्मक कार्यों  से लगा रही है और आप के काम के  वादों को झुठलाकर  उन पर झाड़ू  फेरना चाहती है ।वहीं नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ रही भाजपा दो दशक बाद दिल्ली सत्ता  हथियाने की पुरजोर कोशिश में है । 6 फरवरी शाम को चुनाव प्रचार थम  जाने के बाद दिल्ली की गलियां सड़क शोर गुल से मुक्त हो गई  लेकिन सांप्रदायिक ताकतों के समर्थन से  शाहीनबाग से अभी भी शोर जोर शोर से उठ  रहा है। बीजेपी की घुर विरोधी दोनों पार्टियां केजरीवाल की आप और कांग्रेस  शाहीनबाग की आवाज  को अपने अपने पक्ष में भुनाने का प्रयास कर रही है ।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है भले ही आप कांग्रेस इसे अपने पक्ष में मान कर चल रहीं है लेकिन ऐसा शायद ही हो कि ये वोट किसी एक पार्टी को जाए।वोट तीन जगह बटता हुआ दिखाई दे रहा है।इसमें कांग्रेस को सबसे अधिक ,दूसरे पर बसपा ,तीसरे नम्बर पर आप को वोट पड़ने की उम्मीद है क्योंकि सड़क पर हड़ताल कर रहा वोट बैंक बीजेपी का शायद कभी रहा हो यह कम ही देखने को मिला है।यह वोट तीन हिस्सों में जरूर बटेगा।यह वोट भले ही पिछली विधानसभा चुनाव में आप पार्टी को मिला उस समय कांग्रेस के 15 साल के राज और हज़ारे समर्थक होने के कारण यह वोट आप को मिल गया ।लेकिन इस बार ऐसा नहीं है चाहे भले ही सुविधा सेवा की बात करने वाली आप कई ठिठोरा पीटते हुए अपने पक्ष की बात कर रही हो पर ऐसा नहीं है क्योंकि उसकी नागरिकता संशोधन कानून पर चुप्पी साधना उसे मंहगा पड़ सकता है ।उससे शाहीनबाग के साथ आप का हितेषी हिन्दू वोट दूर छिटक सकता है ।कांग्रेस ने  बाग वोट को अपने  पक्ष में लाने का पूरा जोर लगा  दिया ।वहीं भारतीय जनता पार्टी और नागरिकता संशोधन कानून के सहारे बीजेपी दिल्ली की बेदखली  राजनीति के तीसरे दशक की शुरुआत सत्ता में आकर करना चाहती है।सीएए और अन्य कानून जैसे तीन तलाक ,370 व 35 A और राम मंदिर का मुद्दा मोदी सरकार में सुलझे इससे  सत्ता के मार्ग तक पहुँचाने वाले विशेष वर्ग में मोदी सरकार के प्रति  रुझान और बीजेपी की कथनी करनी पर और अधिक विश्वास बड़ा है ।हालांकि पिछला मुकाबला बीजेपी और आप पार्टी के बीच ही था ।62 सीटों पर बीजेपी दूसरे नंबर पर रही है ।चुनाव भी मोदी के चेहरे पर लड़ा गया इस बार भी मुकाबला केजरीवाल और मोदी के चेहरे पर लड़ा जा रहा है।पिछली बार बीजेपी की और से मुख्यमंत्री चेहरा किरण  बेदी थी जो अपनी सीट भी नहीं बचा पाई बेदी ने हार की पूरी  जिम्मेदारी अपने ऊपर ली ।लेकिन इस बार ऐसा नहीं है भाजपा बिना मुख्यमंत्री चेहरे के चुनावी मैदान में है ।देखना यह होगा कि सीएम  चेहरों पर चुनाव लड़ने वाली  बीजेपी को इससे  फायदा होगा या नुकसान। वहीं प्रचंड जीत के बाद अन्ना हजारे ने अरविंद केजरीवाल को बधाई देते हुए  आंदोलन ना भूलने की नसीहत भी दी ।इस चुनाव में आप प्रचारित विज्ञापनी काम से और कांग्रेस 15 साल के स्ट्रक्चर वर्क सी ए ए  और बीजेपी के बनाये कानूनो का विरोध कर आप के सत्ता में रुकावट डालकर पिछले चुनाव में एक भी सीट का  खाता ना खोल पाने से  गई बेइज्जती को वापस  नहीं दोहराना चाहती ।और बदला लेना का पूरा प्रयास है।वहीं देश के दिल की राजनीति के गलीचे से दो दशक से दूर बीजेपी इस बार कानूनों और कथनी करनी के सहारे  दिल की सत्ता तक आने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती और पिछले विधानसभा चुनाव में तीन सीटों के बाद 62 सीटों पर दूसरे पायदान पर रही शाह मोदी बिग्रेडियर फौज इस बार इन सीटो पर नजर गड़ाए हुए है।अब देखना यह होगा 8 फरवरी को  दिल्ली की परेशान दिलेरी जनता किसे सत्ता की इवीएम सौंपती है। । कल वोट डाले जाएंगे और मतगणना 11 फरवरी को की जाएगी ।परिणाम में काम काल कानून धर्म  में से दिल्ली की किस्मत  इनमे से कौन सा जिन्न चमकाता है।देखना होगा।

लेखक 
आनंद जोनवार

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