पुख्ता या जीवन से खिलवाड़ कोरोनिल
बाबा की विवादित दवा या खिलवाड़
पतंजलि ने आनन फानन में आयुर्वेद दवा कोरोनिल को कोरोना की दवा बता दी । बिना क्लीनिकल ट्रायल के दवा के रूप दावा करना क्या जिंदगी के साथ खिलवाड़ और मानवता के नाम पर एक अपराध कृत्य नहीं है? ।वो भी इस समय जब मानवजाति पर कोरोना महामारी का कहर बरस रहा हो ।पहले से ही सरकारी स्वास्थ सिस्टम डगमगाया है। ऐसे में सरकार की अनुमति लिए बिना , वैज्ञानिक शोध की प्रमाणिकता के बगैर बाजार में दवा के विज्ञापनी दावे कितने सच्चे है?। प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) बढ़ाने वाली दवा का बिना जांच परख के एंटीवायरस ड्रग्स के रूप में इस्तेमाल करना क्या जीवन के साथ धोखा नहीं है ?।
सरकार व्यवसाय के निजी राजनैतिक हित में कंपनी पर भले ही कानूनी कार्यवाही ना करें लेकिन भूलवश में यह अन्य व्यवसायों को जीवन से खिलवाड़ करने का मार्ग प्रशस्त करेंगी ।
इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में अश्वगंधा,गिलोय और तुलसी को योग गुरु बाबा रामदेव ने कोरोना का शत प्रतिशत इलाज करने वाला कैसे बता दिया?।
कोरोना वायरस जैसी महामारी को मात देने वाली वैक्सीन बनाने का दावा करने के बाद आयुष मंत्रालय ने पतंजलि की दवा कोरोनिल पर हाल-फिलहाल रोक लगा दी है।
जब इस औषधीय का किसी कोरोना मरीज पर टेस्ट नहीं हुआ तो फिर दवा के तौर पर दावे करना कितना उचित है?
राजस्थान सरकार बाबा रामदेव पर केस दर्ज करने का कदम उठा सकती है ,तो केंद्र सरकार क्यों नहीं ।क्या कोई व्यक्ति सरकार समाज और देश से इतना बड़ा हो जाये कि बिना अनुमति के
दवा लॉन्च कर दे और पब्लिक हेल्थ पर अपनी मनमर्जी थोपें । क्या जनता नोटिसों में उलझती सरकार से सख्त करवाई की उम्मीद कर सकती है।
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