भारत को सतर्क रहना होगा

शक्तिशाली दुश्मनों की दोस्ती भारत के लिए खतरा 


जैसा कि पूरी दुनियां जानती है कि विश्व की नम्बर वन सुपरपॉवर बनने के लिए चीन और अमेरिका में हाल फिलहाल खूब बयान बाजी हो रही है ।ऐसे में चीन अपनी वर्ल्ड पॉवर का प्रदर्शन भारत के खिलाफ कर सकता है, गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प    से सबक लेते हुए भारत को चीन के खतरे से सतर्क रहना होगा ।दूसरी तरफ़ जब से कोरोना महामारी आई है अमेरिका,चीन के खिलाफ कई मुद्दों की साज़िश को लेकर विश्वपटल पर  हमलावर है जिनमें प्रमुखता से कोरोना विषाणु के ऑरिजिन, दक्षिणाी चीन सागर में कृत्रिम ठिकाने उन पर हवाई पट्टी व सैन्य अभ्यास,हॉन्गकॉन्ग का नया सुरक्षा क़ानून ,तिब्बत मामला,कई छोटे देशों के साथ दादागिरी वाले मुद्दे शामिल है। हो सकता है अमेरिका में इस साल राष्ट्रपति चुनाव है और राष्ट्रपति ट्रम्प चुनाव के लिए चीन के खिलाफ ऐसा कर रहे हो । वैसे भी कोरोना महामारी में डोनाल्ड ट्रम्प की विफलताएं अमरीकी जनता के सामने आ चुकी है। राष्ट्रपति  चुनाव हित के चलते ट्रम्प ने फ्लॉयड की हत्या पर साम्प्रदायिक बयान भी दिए थे।
भारत और चीन के तनातनी तनाव में अमेरिका भारत का सहयोग देने के लिए तैयार है, अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प हर मोर्चे पर चीन को मात देना चाहते और चीन की सुपर पॉवर बनने के सपने को चकनाचूर करना चाहता है ।
अमेरिका भारत से दक्षिण चीन सागर में सहयोग की उम्मीद करता है ।लेकिन कहीं राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा चीन के ख़िलाफ़ इन मुद्दों को तूल देना  चुनावी रणनीति का हिस्सा तो नहीं है ।
अगर ऐसा हुआ तो भारत को एक एक कदम फूंक फूंक के रखने होगे क्योंकि चीन उसकी सीमाओं पर घात लगाकर बैठा है।
चुनाव बाद इन दोनों सुपर पॉवर दुश्मनी देशो की दोस्ती भारत के लिए बड़ा खतरा बन सकती है ।क्योंकि जिस अमेरिका पर हम आज इतना विश्वास जता रहे है वह हमारे सबसे नजदीकी प्रतिद्वंदी पाकिस्तान का सहयोग करता रहा है।हॉन्गकॉन्ग के मुद्दे पर भले ही अमेरिका सख़्त रुख़ अपनाते हुए अमरीकी संसद में क़ानून पास किए जाने की तैयारी में है।साथ ही व्हाइट हाउस ने कहा है कि अमेरिका चीन के ख़िलाफ़ कड़े कठोर क़दम उठा सकता है.
अमरीकी ख़ुफ़िया एजेंसी चीन को अमरीका का सबसे बड़ा दुश्मन बता चुके हैं. 
लेकिन चीन अमेरिका के इस रुख को बेवजह मान रही है और नतमस्तक होकर अपनी ओर से इन मुद्दों को भुलाने की हरसंभव कोशिश कर रहा है।
चायना-यूएस थिंक टैंक मीडिया फ़ोरम में चीन के विदेश मंत्री ने कहा है कि अमेरिका चीन को अपना दुश्मन समझने में कोई कमी नहीं छोड़ रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि अमेरिका चीन के विकास को हर क़ीमत पर रोकने की कोशिश कर रहा है और इससे अमेरिका-चीन संबंधों में भी रुकावट आ रही है.
वांग यी ने चीन का पक्ष रखते हुए कहा कि उसका कोई मक़सद अमेरिका को चुनौती देना या उसकी जगह लेना नहीं है. 
चीन के विदेश मंत्री ने कहा है चीन अमेरिका को लेकर अपनी नीति में स्थिरता बनाए हुए है और अमेरिका के साथ काम करने को इच्छुक है.लेकिन इसमें आपसी सम्मान,सहयोग होना चाहिए, संघर्ष या टकराव नहीं ।
वांग यी ने आगे कहा कि चीन की सफलता से पश्चिमी देशों को कोई ख़तरा नहीं है और वे इस तरह की धारणा से सहमत नहीं हैं और न ही ये सच है. 

दूसरा अमेरिका नहीं चीन :वांग यी
वांग ने  यह भी कहा- चीन दूसरा अमेरिका नहीं बन सकता और ना बनेगा।
चीन के विदेश मंत्री ने कहा कि अमेरिका और चीन को मिल-जुलकर शांति से रहना चाहिए।
 प्राप्त जानकारी मुताबिक
वांग ने तीन कार्य सूचियाँ बनाने की पेशकश की है, जिससे दोनों  देशों में सहयोग बढ़ सके. ये कार्य सूचियां सहयोग, वार्ता, सहमति , कम प्रभाव के आधार पर है ।सूची यानी जिन मुद्दों पर अमेरिका और चीन मिलकर काम कर सकें।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सिवाय अमेरिका के किसी भी प्रेसिडेंट ने चीन का इस कदर विरोध नहीं किया है। 
कुछ दिन पहले राष्ट्रपति ट्रम्प ने ऑनलाइन क्लास ले रहे छात्रों को अमेरिका से बाहर जाने को कहा है,
अनुमान लगाया जा रहा है कि इस फ़ैसले से सबसे ज़्यादा असर चीन और भारत के छात्रों पर पड़ेगा.अमेरिका में भारत और चीन के छात्रों की बड़ी संख्या है.  2018-19 के आंकड़ों के अनुसार करीब 10 लाख विदेशी छात्र अमेरिका पहुँचे थे जिनमें से क़रीब तीन लाख 72 हज़ार छात्र चीन और क़रीब दो लाख छात्र भारत से है।
अब देखना यह होगा कि राष्ट्रपति चुनाव के बाद अमेरिका चीन के खिलाफ अपना यही रवैया बरकरार रखती है या चीन के गिड़गिड़ाने पर उसमें सहयोग की भावना पैदा होती है।यदि ऐसा होता है तो यह भारत के लिए बहुत बड़ा खतरा हो सकता है।

Comments

Popular posts from this blog

रंगहीन से रंगीन टीवी का बदलता दौर और स्क्रीन

हर गुलामी और साम्प्रदायिकता से आजादी चाहते: माखनलाल

ब्रिटिश भारत में लोकतंत्र के जन्मदाता, मॉडर्न इंडिया के सबसे महान शूद्र महात्मा फुले-डॉ आंबेडकर