एमपी महिला सशक्तिकरण में महिलाएं कहां?

राज्य में सत्ता किसी  भी राजनैतिक दल की हो महिला सशक्तिकरण, महिला आरक्षण, महिला प्रतिनिधित्व, महिला सुरक्षा और शोषण से मुक्ति की बात जोरों शोरो से करती है ।लेकिन करती कुछ भी नहीं ।
 15 वी विधानसभा में में महिलाओं का प्रतिशत  8% है 230 विधानसभा सदस्यों की संख्या में से  केवल 18 महिला ही विधानसभा के द्वार तक पहुंची थी।
 प्रदेश में 2003 से 2018 तक लगातार 15 साल बीजेपी वहीं 15 माह कांग्रेस और पुनः बीजेपी सत्ता में आई. 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से निर्वाचित 22 विधानसभा सदस्यों ने  विधानसभा सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया जिससे कमलनाथ नेतृत्व की कॉग्रेस सरकार सत्ता से बेदखल हो गई और सत्ता में चौथी बार पुनः शिवराज सरकार सत्ता में वापस आई . शिवराज मंत्रिमंडल का गठन हुआ.और 13 साल से सत्ता कुर्सी पर विराजमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने  महिला सशक्तिकरण पर सख्त लिहाज से अपना संबोधन दिया.महिला आत्मनिर्भर के लिए शब्दों ,योजनाओं की झड़ी लगा दी .लेकिन शायद प्रदेश नेशनल क्राइम रिपोर्ट बयूरो की रिपोर्टो पर गौर नहीं फरमाया . देश हो  या प्रदेश हमारी भारतीय परंपरा रही है भावनाओं में भावुक हो जाना. जिसके चलते लोकतांत्रिक दौर में भी महिलाएं पीछे है ,कहने में यह भले ही अच्छा लगे कि महिलाएं कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है लेकिन आंकड़े कुछ अलग बताते है जो नारी दशा को दर्शाते हैं .
 2018 विधानसभा व  2019 आमसभा चुनाव के चलते नेशनल क्राइम रिपोर्ट बयूरो की रिपोर्ट को जारी करने में ही एक साल से अधिक की देरी कर दी थी .इस रिपोर्ट में रेप मामलों में मध्यप्रदेश देश में सबसे आगे है  साल 2017 में  5562 रेप मध्यप्रदेश में हुए थे,इसमें अंडर रिपोर्टेड मामलों को नहीं गिना गया है.2014 से 2018 पूरे भारत में पौने दो लाख , जिसमें अकेले मध्यप्रदेश में 22259 रेप सामने आए जो पूरे देश में सभी राज्यों से अधिक है .वहीं 2018 में  6 वर्ष से कम बच्चियों के साथ घिनौने कृत्य मामले में 54 मामले सामने आए, 2014 से 2018 तक एसिड अटैक की प्रदेश में 59 घटना हुई ऐसी घटनाओं में  राज्यों की सूची में मध्यप्रदेश देश में चौथे स्थान पर है . राज्य के इंदौर भोपाल सागर में एसिड अटैक की घटनाएं सबसे अधिक हुई.
2011 की जनगणना अनुसार मध्यप्रदेश में 37700 बच्चों की शादी कानूनी मैरिज उम्र से पहले हो गई. वर्तमान में मध्यप्रदेश टॉप असुरक्षित राज्यों की सूची में चौथे क्रमांक पर है  
प्रदेश की सत्ता चलने वाले शहर राजधानी भोपाल में साल 2018 में दहेज प्रताड़ना के सबसे अधिक केस सामने आए थे।
महिला सुसाइड व किसान आत्महत्या मामलों में मध्यप्रदेश  प्रदेशो की सूची में पहले नम्बर पर है अकेले साल 2018 में  11775 किसानों ने आत्महत्या की थी .एनसीआरबी की रिपोर्ट  के मुताबिक 2017 में औरतों के खिलाफ हुए अपराधों में मध्यप्रदेश चौथे नम्बर पर है. प्रदेश में ऐसे 29,778 मामले सामने आए.

सरकार भाजपा की हो या कांग्रेस की 33 प्रतिशत महिला आरक्षण का वादा और पैरवी  दोनों ही दल करते हैं लेकिन देते नहीं है,
 वैसे तो जेंडर इक्वलिटी के तहत पचास प्रतिशत महिला भागीदारी की वकालत होनी चाहिए इसके लिए महिलाओं को आगे आना चाहिए क्योंकि महिलाएं  समाज का जितना अधिक से अधिक प्रतिनिधित्व करेंगी उनकी सुरक्षा विकास  समाज में भागीदारी उतनी  ही बढ़ेगी, शोषण भी कम होगा. जिस प्रकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीन तलाक के ऐतिहासिक निर्णय से आज मुस्लिम महिलाओं को निड़र होकर जीने का मौका मिला है  ठीक उसी प्रकार लिंग समानता के आधार पर सभी राजनीतिक दलों को 50 प्रतिशत सीट महिलाओं के लिए राजनीति में फिक्स करना चाहिए ताकि परिवार में चार दीवारी ,समाज की वेदनाओं  और सड़क के शोषण से इनको सुरक्षा मिल सके,वरना आने जाने वाली लाउड स्पीकरों की खोखले वादों की सरकारों से इन्हें ना शोषण से मुक्ति मिलेगी ना सुरक्षा ,

 कैबिनेट में भी महिलाओं को कम ही मौका मिलता है बीजेपी सरकार हो या कांग्रेस की सरकार  दोनों की कैबिनेट में महिला मंत्रियों की संख्या कम ही रही है भाजपा महिलाओं के मौके की  बात करती है लेकिन महिलाओं को राजनीति और सत्ता में  हिस्सेदारी कभी नहीं देती ,देती भी है तो बहुत कम ,यही हाल कांग्रेस का है 
 उमा भारती सरकार में 17 कैबिनेट मंत्रियों में से 2 महिला  2008 शिवराज सरकार में 22 में से 2, 2013 शिवराज सरकार में 23 कैबिनेट मंत्री में 5, 2019 कमलनाथ सरकार में 28 मंत्रियों में से 2 महिला मंत्री थी,वहीं चौथी शिवराज सरकार में 33 में से 4 यानी 12% महिला मंत्री है . वर्तमान में महिलाओं को वोट ,जनसंख्या ,लिंग समानता के आधार पर पचास प्रतिशत  प्रतिनिधित्त्व  की मांग करनी चाहिए 

लॉक डाउन में महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा बड़ी 

 मध्यप्रदेश में लॉकडाउन  के दौरान कुल 122 घरेलू हिंसा मामले सामने आए , जिनमें जबलपुर में 40 , सागर में 35, भोपाल में 18, इंदौर में 15 और ग्वालियर में 14 मामले सामने आये। ऐसे ही  प्रदेश में नोटबंदी के वक्त एक महीने में घरेलू हिंसा के 200 मामले सामने आए थे जबकि पहले 50 मामले प्रति माह  तक आया करते थे

प्रदेश में पांचवीं पास कर स्कूल छोड़ चुकी हैं तीन लाख लड़कियां, देश में पहले नंबर पर  मध्यप्रदेश

- केंद्रीय महिला एवं बाल विकास विभाग की रिपोर्ट में खुलासा
- स्कूल शिक्षा विभाग के अनुसार 98 हजार लड़कियां ड्रॉप आउट

 महिला सशक्तिकरण की बात करने वाले मध्यप्रदेश में लड़कियां लगातार स्कूल छोड़ रही हैं। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास विभाग 2019 की  रिपोर्ट में ये जानकारी सामने आई थी। 

साल 2018-19 की रिपोर्ट  में प्रदेश की 3 लाख 5 हजार किशोरी बालिकाओं को पोषण आहर दिया जा रहा है जो कि देश में सबसे ज्यादा संख्या है। यानी मध्यप्रदेश इस मामले में पूरे देश में पहले नंबर पर है। ये वो किशोरी बालिकाएं होती हैं जो स्कूल से बाहर हैं।
 हैरानी वाली बात ये है कि पिछले तीन साल से ये आंकड़ा कम होने की बजाय लगातार बढ़ता जा रहा है। राज्य के एजुकेशन पोर्टल के हिसाब से 98 हजार बच्चियां स्कूल छोड़ चुकी हैं। 
आशंका इस बात की भी है कि जो लड़कियां स्कूल छोड़ चुकी हैं वे या तो बाल श्रम करने को मजबूर हैं या फिर मानव तस्करी का शिकार हो रही हैं।
 
साल 2016-17 में पोषण आहर पाने वाली किशोरियों की संख्या 1 लाख 22 हजार 230 थी जो साल 2017-18 में बढ़कर 1 लाख 25 हजार 452 हो गई।
साल 2018-19 में यह आंकड़ा बढ़कर  3 लाख 5 हजार हो गया । रिपोर्ट चौंकाने वाली इसलिए है क्योंकि इतनी छात्राएं स्कूल छोड़कर पोषण आहार प्राप्त कर रही है ।
ये आंकड़ा देश में सभी राज्यों से सबसे ज्यादा है। बालक समेत यह आंकड़ा और भयावह है। बच्चों के स्कूल छोड़ने के मामले में कमलनाथ सरकार के तत्कालीन स्कूल शिक्षा मंत्री ने दावा किया था कि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है ताकि सरकारी स्कूल भी निजी स्कूलों की बराबरी में खड़े हो सकें ,और ड्रॉप आउट छात्रों की संख्या में  कमी आए .उन्होंने कहा था
 स्कूल चलें अभियान के तहत ड्रॉपआउट छात्रों को फिर से स्कूल से जोडऩे की कोशिश की जाएंगी लेकिन तब तक बालक बालिकाएं जुड़ते तत्कालीन स्कूल शिक्षा मंत्री ही सरकार छोड़ कर  बीजेपी सरकार में एडजस्ट हो गए .

लेखक 
आनंद वाणी (असिस्टेंट प्रोफेसर) 
वरिष्ठ उपसंपादक 
दैनिक भास्कर


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