पांच अगस्त भारत का बनता इतिहास
एकता का एक एतिहासिक दिन
अयोध्या राममंदिर मामले में लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुरूप ही समिति बनाकर मंदिर निर्माण की प्रक्रिया जारी है। आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में राम मंदिर का शिलान्यास है ।निश्चित ही राम मंदिर के निर्माण को लेकर समस्त हिन्दूओं में खुशी का माहौल है। खुशी और एकता की सफलता के एतिहासिक दिन के पीछे पांच दशकों की राजनीतिक मेहनत, सूक्ष्म राजनीतिक सोच कौशल और संघर्ष का हाथ है। जो एक एतिहासिक दिन बनने जा रहा है। आज जोर-शोर से राम मंदिर भूमि पूजन कार्यक्रम किया जाएगा।अयोध्या को पीले रंग से रंग दिया गया है. कांग्रेस पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा है कि अयोध्या में भूमि पूजन राष्ट्रीय एकता का कार्यक्रम बनना चाहिए. हिंदुत्व राजनीति के चलते अयोध्या को लेकर कांग्रेस की तरफ से सधी हुई प्रतिक्रियाएं देखने को मिली हैं। दिग्विजय सिंह ने मुहूर्त समय पर सवाल खडे किए है । वहीं कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने राम मंदिर निर्माण को लेकर देशवासियों को बधाई दी है। उन्होंने गांधी जी का प्रिय राम भजन भी ट्वीट किया है । जानकारी के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भूमि पूजन कार्यक्रम के लिए कुल 3 घंटे अयोध्या में रहेंगे. मंदिर के भूमि पूजन और शिलान्यास से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हनुमानगढ़ी पर पूजा करेंगे. ऐसा माना जाता है कि भगवान हनुमान के आशीर्वाद के बिना भगवान राम का कोई काम शुरू नहीं किया जाता है. इस वजह से पीएम मोदी पहले हनुमान भगवान की पूजा करेंगे और उसके बाद भूमि पूजन के लिए जाएंगे।पीएम नरेंद्र मोदी 12 बजकर 44 मिनट और 15 सेकंड पर मंदिर की आधारशिला की स्थापना करेंगे।
राममंदिर के भूमिपूजन कार्यक्रम के लिए राममंदिर ट्रस्ट ने जिन लोगों को न्यौता भेजा है,उसमें सबसे ज्यादा चर्चा जिस नाम को लेकर हो रही है वह नाम इकबाल अंसारी का है,इकबाल अंसारी पूरे विवाद में बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे और अब राममंदिर भूमि पूजन में अतिथि के तौर पर शामिल हो रहे है।इकबाल अंसारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने हाथों से रामचरितमानस भेंट भी करेंगे।मगर ध्यान देने की बात है कि धर्म और जाति पर आधारित ये दोनों राजनीतियां अंततः भावनाओं की राजनीति ही है। बीजेपी और कांग्रेस संघ की बनी हिंदुत्व पिच पर ही राजनीति खेलते है, और सत्ता का मजा चकते है,तभी तो राहुल गांधी बीजेपी से लोहा लेने के लिए कभी जनेऊधारी ब्राह्मण तो कभी शिवभक्त के रूप में पेश होते है ।1980 में बीजेपी की स्थापना के बाद से देखें तो गांधीवादी समाजवाद को अपना ध्येय बताने वाली उदारवादी वाजपेयी लाइन का प्रभाव 1984 के लोकसभा चुनाव में हुई पार्टी की दुर्गति के साथ ही समाप्त हो गया, जब उसे सिर्फ दो सीटें मिली थीं। उसके बाद पार्टी की कमान आडवाणी के हाथ में आई ।आडवाणी ने अपने कौशल से हिंदुत्व का पॉलिटिक्स प्लेग्राउड तैयार कर दिया जो शुरू से ही आरएसएस का सपना था । इसकी नीव प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने मंडल कमिशन की सिफारिशें लागू करने से की। वीपी सिंह ने तत्कालीन राजनीति का व्याकरण बदल दिया था ।जिससे राजनीति में हिंदुत्व तकरीबन किनारे हो गया लेकिन आडवाणी ने तत्काल राम रथ यात्रा निकाल कर राजनीति में राम को जिद्दा रखा। वहीं राम रथयात्रा से वीपी सरकार गिर गई ,इसके बाद भी आडवाणी का अभियान जारी रहा। बाबरी मस्जिद ढहाना हिंदुत्व राजनीति का टर्निग पॉइंट बना जो हिंदुत्व समर्थित दलों के लिए राजनिति में एक नया मील का पत्थर साबित हुआ, जिसने बीजेपी को प्रधानमंत्री बनाने का मौका दिया।हिंदू अभियान के अगले चरण का नेतृत्व शुरू में आडवाणी के संरक्षण में और फिर उनके विरोध का सामना करते हुए नरेन्द्र मोदी ने किया ।
5 अगस्त 2019 को गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में जम्मू कश्मीर से धारा 370 को हटाने और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने का प्रस्ताव रखा जो लोकसभा और राज्यसभा में बहुमत के आधार पर पास हुआ था ।इस मामले में कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा और कश्मीर के लोगों से अधिकार छीनने का आरोप लगाया था। जम्मू कश्मीर से नरेंद्र मोदी सरकार के आर्टिकल 370 हटाने के बाद से ही फारुख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, पूर्व आईएएस शाह फैसल के खिलाफ पब्लिक सिक्योरिटी एक्ट (PSA) लगाते हुए मुकदमा दर्ज किया ।कई अलगाववादी नेता सुरक्षा के मद्देनजर नजरबंद रहे। कुछ को राहत मिल गई ,कुछ अभी भी नजरबंद है ।
जेके में एक वर्ष के भीतर क्या हुआ
जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम फारुख अब्दुल्ला की बेटी और राजस्थान के डिप्टी सीएम सचिन पायलट की पत्नी सारा अब्दुल्ला ने भाई उमर अब्दुल्ला की पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत नजरबंदी के खिलाफ चुनौती देते हुए 10 फरवरी में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दर्ज की थी।
भारत ने पेरिस में यूनेस्को के 40 वें महासम्मेलन में भारत को सभी प्रकार के गलत चीजों से दूर बताया ।यूनेस्को में जनरल पॉलिसी डिबेट में अनन्या अग्रवाल ने भारत के जम्मू और कश्मीर पर पाकिस्तानी प्रतिनिधि के प्रचार और भारत में धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के प्रयोग का जवाब दिया।उन्होंने कहा कि पाकिस्तान सभी गलत चीजों में शामिल है, चरमपंथी विचारधाराओं और कट्टरता की गहरी शक्तियों से लेकर आतंकवाद की सबसे गहरी अभिव्यक्तियों तक शामिल है ।पाकिस्तान एक ऐसा देश है जिसका नेता संयुक्त राष्ट्र के मंच का इस्तेमाल खुलेआम परमाणु युद्ध का प्रचार करने और अन्य राष्ट्रों के खिलाफ हथियार रखने के लिए करता है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र में प्रधानमंत्री इमरान खान की टिप्पणी का जिक्र किया था, जिसमें उन्होंने कहा था अगर दो परमाणु हथियारों से लैस पड़ोसियों के बीच आमना-सामना होगा, तो परिणाम उनकी सीमाओं से बहुत आगे निकल जाएंगे.पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपतियों में से एक जनरल परवेज मुशर्रफ ने ओसामा बिन लादेन और हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकवादियों को पाकिस्तान का नायक कहा। इस एक साल के भीतर पाकिस्तान भारत के प्रति दुर्भावनापूर्ण बयानबाजी करता रहा ।
यूरोपियन संसद के 27 सदस्यों का दल जम्मू कश्मीर की समीक्षा करने के लिए भारत आया जिस पर कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने जमकर हमला बोला था। सुरजेवाला ने कहा था कि 72 सालों से भारत की जांची परखी नीति है कि कश्मीर हमारा आंतरिक ममला है।इसमें किसी भी तीसरे पक्ष की दखलअंदाजी हम कभी भी स्वीकर नहीं करेंगे। रणदीप सुरजेवाला ने इसे एक ‘इंटरनेशनल बिज़नेस ब्रोकर’ द्वारा प्रायोजित मोदी सरकार का अपरिपक्व, विवेकहीन व मूर्खतापूर्ण प्रचार का हथकंडा कहा ।इस दल के 23 सदस्य ही कश्मीर गए और 4 दिल्ली से ही लौट गए थे।
अनुच्छेद 370 व 35-ए हटने के एक साल के भीतर ही पल पल स़डक पर दिखने वाली जम्मू-कश्मीर की हालात अब बदली हुई नजर आ रही है ।अलगाववाद ,पत्थरबाज ,बंद, हड़ताल की खबरों से जम्मू कश्मीर को अब आजादी मिल गई है। यही नहीं कुछ आतंकी घटनाओं को छोड़कर घाटी अमन-शांति के रास्ते पर लौटने को अग्रसर है।
एक साल के भीतर किसी भी अलगाववादी नेता का बयान सार्वजनिक नहीं हुआ है।पीएसए कानून में नजरबंद तमाम अलगाववादी नेता अपनी जमीन खिसकती देख चेहरा छिपाए बैठे हैं।
370 हटने के बाद सुरक्षाबलों को काफी राहत मिली है। पत्थरबाजों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले पर होने वाले खर्च में भी कमी आई है। पत्थरबाजी से अब छात्र-छात्राओं ने भी किनारा कर लिया है। अब छात्र अपने करियर का महत्व समझने लगे है। और पत्थरबाजी की सच्चाई जान चुके है।
अनुच्छेद 370 व 35 ए हटाए जाने से महाराजा गुलाब सिंह की सेना का अहम हिस्सा रहे थे। नौकरी न मिलने से गोरखा समाज के कई परिवार अन्य जगह पलायन कर गए, जो यहां रहे उन्हें अपने अधिकारों से वंचित रहना पड़ा।गोरखा समाज के लोगों को भी काफी राहत मिली है। अब जाकर उन्हें यहां की नागरिकता और अन्य अधिकार मिले हैं।
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