समान नागरिक संहिता सरकार का नया मुद्दा!


अयोध्या राममंदिर भूमि पूजन के बाद बीजेपी और संघ ने देश की जनता से किए अपने दो वादों को पूरा कर दिया है ।इन दोनों वादों में एक बात समान है दोनों एक साल के भीतर एक ही तारीख में पूर्ण हुए है ,जिससे पार्टी पदाधिकारियों के साथ साथ कार्यकर्ता व देश की जनता में खुशी और जोश है । जनता जुनून का भारतीय जनता पार्टी पूरा फायदा लेने की फिराक में है ।इसके लिए बीजेपी के साथ साथ संघ ने भी जनता का मूड भांप कर नया मुद्दा टटोलना शुरू कर दिया है ।मुद्दों में गंगा, गाय, समान नागरिकसंहिता  और बौध्दों से संबधित कोई मुद्दा हो सकता है ।इनमें भी पहली प्राथमिकता समान नागरिक संहिता का मामला हो सकता है । राम मंदिर का शिलान्यास हो जाने के बाद बीजेपी कार्यकर्ताओं का ध्यान तीसरे वादे की ओंर खींचा।अब समान सिविल कोड  ही ऐसा मामला है जो आजादी के बाद से चल रहा है ,बीजेपी का सदियों के जमाने से चले आ रहे इस कानून को भुनाने बनाने का प्लान है  ,और हो भी क्यों नहीं । अपने काम को पूर्ण जिम्मेदारी से करने वाली बीजेपी अपने कार्यकर्ताओं के मन का काम करती है जो जमीनी हकीकत होती है ।
भारत के संविधान निर्माताओं ने एक देश एक कानून होना चाहिए आज भी कई धर्मों में अपने अपने धर्म के अनुसार बने कानून पर गुपचुप तरीके से निपटारा होता है ।  सामाजिक विविधता से भरे भारत में समाज धर्मों के अपने अपने कायदे कानून है ।जो पंरपरावश चले आ रहे है । विधि आयोग ने 2016 में सुझावी सर्वे के आधार पर इस पर राय मांगी थी ।विधि आयोग ने पूछा था कि क्या ऐसी मान्यताओं को पूरी तरह समापत कर देना चाहिए या फिर इन्हें कानून के जरिए नियंत्रित करना चाहिए । जो अलग अलग समाज धर्म में प्रचलित है ।फिर चाहे कई धर्मों में  इसके प्रति रोष हो लेकिन सत्ता समाज को मौजूद बुराई को खत्म करने का कदम उठाना चाहिए । संघ मिलकर बीजेपी इन बुराईयों को समाप्त कर मिशाल पेश कर जनता के मन में घर बनाने का काम करेंगी।

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