सृष्टि प्रकृति संस्कृति संरक्षक आदिवासी को धर्म में मत बांधो

लव जिहाद के नाम पर हिंदुओं तथा कुछ संस्थाओं द्वारा आदिवासियों का धर्म परिवर्तन करना अनुचित अकल्याणकारी  आपराधिक अन्याय है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के अनुसार मात्र शादी के लिए धर्म बदलना गैरकानूनी है। ऐसे घिनौने कृत्य से राष्ट्रीय स्वयसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत भी नाराज है ।संघ अपनी सियासी ताकत वालों राज्यों में लव जिहाद के विरूध्द कानून लाने की तैयारी में है। संघ प्रमुख उन संस्थाओं पर भी शिकंजा कसने की तैयारी में है जो आदिवासियों का धर्म परिवर्तन कराती है।हांलाकि इस संबंध में इन संस्थाओं पर सृष्टि औऱ प्रकृति  के संरक्षक को भ्रमित कर धर्म परिवर्तन करने का आरोप है।वहीं संघ पवित्रता के साथ जीवन जीने वाले आदिवासी का धर्म 2021 जनगणना में हिंदू धर्म करने की पूरी कोशिश में है।

जनहित जीना जनहित मरना ही प्रकृति संरक्षक का वास्तविक धर्म है। विश्व में किसी भी धर्म के आने से पहले सृष्टि प्रकृति संस्कृति का संरक्षक आदिवासी रहा है।ऐसे में जनगणना के सियासी डंडे और प्रशासनिक स्तर पर आदिवासी को हिंदू लिखना उनकी मानवीय प्राकृतिक सोच के साथ खिलवाड है, जरूरत है तो प्रकृति की धरोहर संस्कृति के संरक्षण की ,वैसे भी संसार के प्रथम धर्म संस्थापक गौतम बुध्द ने दुनिया के दुख की स्वीकृति को ही धर्म का वास्तविक आधार बताया,दुनियां के इस दुख को दूर करना ही धर्म का वास्तविक उद्देशय है ,इसलिए जनगणना में आदवासी की संस्कृति का कॉलम होना चाहिए ना कि धर्म का ,संस्कृति ही उसकी धरोहर और धर्म है।

संसार को अपना घर समझो बुध्द के इस संदेश को संसार को समझने की जरूरत है ।यदि हम समस्त हिंदूओं को एक जाति में संगठित करने में सफल हुए तो यह साबित होगा कि हमने अपने राष्ट्र और खासकर हिंदू समाज की बहुत ब़डी सेवा की है।संघ प्रमुख मोहन भागवत जी इसी सेवा समर्पण सोच से चिंतित है।वर्तमान जाति व्यवस्था अपने भेदभाव तथा अन्य दुष्परिणामों के कारण हमारे सामाजिक एवं राष्ट्रीय कमजोरी का बहुत बडा स्त्रोत है ।सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय  आंदोलन का मूल उद्देश्य संगठन ,मजबूती ,समता ,स्वतंत्रता एवं भाईचारा है। प्रतिबध्दता और नियंत्रण में हम न्याय एवं मानवता में विश्वास करते है । 

एक राष्ट्र श्रेष्ठ भारत में हिंदू समाज के पुनर्निर्माण के लिए समस्त हिंदूओं को एक ही वर्ग समझना चाहिए विभिन्न वर्गो पर प्रतिबंध लगाने हेतू भी कानून बनना चाहिए। मंदिर सभी समस्याओं का हल नहीं है, एक हिंदू राष्ट्र की सफलता हिंदू मन पर निर्भर है। देश की सही समस्या का निराकरण राम मंदिर के बनने से हल नहीं हुआ क्योंकि वह देश के करोडों लोगो के जीवन में कोई मूल परिवर्तन नहीं लाएगा, लेकिन यह सियासी राजनीति से प्रेरित हिंदू मन के परीक्षण,जांच की बात है । क्या हिंदू मन नए युग की बौध्दिक तथा नैतिक स्तर पर उठी हुई महत्वाकांक्षा जैसा कि मनुष्य को मनुष्य ही समझना चाहिए, उसे मानवीय अधिकार प्रदान करना चाहिए ,मानवीय प्रतिष्ठा प्रस्थापित की जानी चाहिए। 

क्या आज भी हिंदू धर्म जातिगत वर्गवाद शोषण भेदभाव इत्यादि को अंतर्मन से अस्वीकार करने के लिए तैयार है, इसका परीक्षण होना चाहिए जो कि राजनीतिक न्यायिक सामाजिक व्यावहारिक व शिक्षण स्तर दिखना चाहिए । आज देश में व्याप्त उन तमाम समस्याओं के प्रति सत्याग्रह करने की जरूरत है जो हिंदूओं के अंतकरण में परिवर्तन लाने का प्रयास करे । सियासत की चौखट पर वर्तमान समय में हर धर्म राजनीति का हिस्सा बन गया है  जो समाज  के साथ साथ देश के लिए खतरा है। इतिहास गवाह है राजनीति क्रांतिया हमेशा सामाजिक और धार्मिक क्रांतियों के बाद हुई है। लूथर का धार्मिक सुधार यूरोप के लोंगों की राजनीतिक मुक्ति का मार्ग था, इंग्लैंड में प्यूरिटनवाद के कारण राजनीतिक फ्रीडम की स्थापना हुई । प्यूरिटनवाद ने नए विश्व की स्थापना की । यही बात मुस्लिम साम्राज्य के संबंध में भी सत्य है । अरबों के राजनीतिक सत्ता बनने से पहले वे पैगम्बर मुहम्मद साहब द्वारा आरंभ संपूर्ण धार्मिक क्रांति से गुजरे थे ।चंद्रगुप्त द्वारा संचालित राजनीतिक क्रांति से पहले भगवान बुध्द की धार्मिक और सामाजिक क्रांति हुई थी । शिवाजी के नेतृत्व में राजनीति क्रांति  भी महाराष्ट्र के संतों द्वारा किए गए धार्मिक और सामाजिक सुधारों के बाद हुई थी । सिखों की राजनीतिक क्रांति से पहले गुरू नानक द्वारा की गई धार्मिक और सामाजिक क्रांति हुई ।जनगणना में आदिवासी को हिंदू लिखना और लव जिहाद के विरूध्द कानून  हिंदू राष्ट्र के लिए एक शासनकारी षंडयत्रकारी धार्मिक योजना है


आनंद जोनवार

संपादक खबर टुडे यूट्यूब चैनल

 

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