मायाराम की मानवता
पुराणों में अनेक कहानी मिलती है जिनमें पशुओं को बचाने भगवान धरती पर आते है ऐसा ही एक नजारा मुरैना जिले की ग्राम पंचायत दतहरा के ग्राम नरिहाई पुरा में देखने को मिला है । बेजुबान बेसहारा पशुओं की सेवा और रक्षा मानवता के लिए एक बडा पुण्य का काम है । वहीं भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 (अ) के मुताबिक हर जीवित प्राणी के प्रति सहानुभूति रखना भारत के हर नागरिक का मूल कर्तव्य है । गौतम बुध्द की करुणा महावीर जैन की अहिंसा भी भारत को सेवा समर्पण सहयोग कि सीख देती है
नेकी औऱ फर्ज की मिशाल पेश करते हुए नरिहाई पुरा निवासी मायाराम ने बताया कि जब वह घूमने के लिए अपने खेत गया था तो रास्ते में एक घायल अवस्था में नील गाय का बच्चा मिला था ।जिसे स्थानीय बोलचाल भाषा में रौझ बोला जाता है जिसे कुत्ते काट रहे थे । श्री मायाराम जी के साथ शिक्षक रामनारायण ,रामसेवक ,आदित्य ने दौडकर नीलगाय के बच्चे को बचाया । वे उसे उठाकर उचित स्थान पर ले गए जहां सब ने मिलकर बारिश से भीगे ठंड से कराहते मासूम नीलगाय के बच्चे को तपाया ,नजदीक तिवारी पुरा गांव में निवासरत पशु चिकित्सक श्याम लाल राजपूत को बुलाया । डॉ राजपूत भी बिना देरी के तुरंत बताए स्थान पर पहुंचे और दर्द से बिलखते बच्चे का तत्काल इलाज किया ,काफी देर बाद होश में आए बच्चे को मायाराम सहयोगियों की सहायता से अपने घर ले आए और कोटवार से संपर्क साधा । कोटवार प्रीतम पिप्पल ने पटवारी को अवगत कराया ,वहीं पटवारी मुकुल शर्मा ने बिना लेटलतीफी के एसडीएम और वन विभाग को पूरे घटनाक्रम की सूचना दी । देर से ही सही नरिहाई पुरा पहुंची वन विभाग की टीम को उचित ट्रीटमेंट देखभाल के लिए गांव वासियों ने छोटी नीलगाय को वन विभाग के सुपुर्द कर दिया।
घायल नीलगाय के साथ मायाराम की मानवता
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