मुरैना के पहले संत जिसने की पूरे भारत की पद यात्रा
मुरैना के प्राचीनतम गांव कुंतल पुर के महान संत श्री श्री 1008 बलराम त्यागी जी का कोरोना संक्रमण से देर रात रतलाम मेडिकल कॉलेज में निधन हो गया. वर्तमान में कुतवार नाम से जाने जाना वाला गांव महाभारत काल में कुंतीभोज के नाम से प्रचलित था . बलराम की मां का नाम बिट्टो और पिताजी का नाम तुलाराम नरवरिया था . माता पिता की पांच संतानों में बलराम जी तीसरे नम्बर के तेजतर्रार पढाई में रुचि रखने वाले थे.शिक्षा के चलते वो अपने गांव से करीब दस किलोमीटर अपने मामा भजनलाल एवं नेतराम के घर, गांव दतहरा नरिहाई पुरा आ गए. 12 वी तक पढ़ाई करने के बाद बलराम अचानक श्री श्री 1008 अभिराम दास महात्यागी महाराज उमरी कुंड के शिष्य बने और संत समाज में स्थान पाया . अपने गुरु जी के आशीर्वाद से लगातार 18 वर्ष तक धुनी तप किया .सिर के सहारे दोपहर में होने वाली इस तपस्या की झलक डेढ़ दशक पूर्व कड़ी धूप में राम जानकी मंदिर मुरैना में देखने को मिली.ग्वालियर से लगभग 40किमी दूर ,मुरैना रेलवे स्टेशन से करीब 12 किमी दूर स्थित जन्म स्थली गांव के नजदीक गांव बाबा के तप त्याग से परिचित है. गांव के लोग संत जी को बचपन के नाम विंध्या बाबा कहते. बलराम दास त्यागी जी ने पूरे भारत के भ्रमण के साथ साथ 12 ज्योतिर्लिंग चारों धाम की परिक्रमा पैदल की.नेपाल में स्थित मुक्तिनाथ धाम के दामोदर कुंड जलधारा और गण्डकी नदी के संगम जिसे काकवेणी कहा जाता है बलराम जी इस पवित्र स्थान पर शालग्राम पर्वत की यात्रा कर पहुँचे. लौटते समय पर्वत की अधिक ढलान के कारण अंधेरी रात में उतरते समय कई गंभीर चोटें आई. त्यागी जी ने मानसरोवर की भी पद यात्रा की. पवित्र तीर्थ स्थानों की पैदल यात्राओं में श्री त्यागी जी मुरैना जिले के एक मात्र संत है.जिन्होंने इतनी दूरी की लंबी यात्रा की. ऐसे महान संत अब अनंत यात्रा पर चले गए.उन्होंने अपने गुरुजी के वचनों पर चलकर सामाजिक हित में गुड़गांव में राधा कृष्ण , मुरैना में शिव और रविदास, उज्जैन एवं रतलाम में हनुमान मंदिर का निर्माण कराया.
कुछ दिन पहले संत बलराम जी ने श्री बालिकदास जी नगर खालसा डाकोर इंदौर डिगम्बर अखाड़ा हरिद्वार कुंभ यात्रा की.त्यागी महाराज इसी दौरान कोरोना संक्रमित हो गए. धीरे धीरे तबीयत बिगड़ती गई और ऑक्सीजन सपोर्ट मिलने के बावजूद भी रतलाम मेडिकल कॉलेज में अंतिम सांस ली. कोरोना के कारण गुरुजी को अरिहंतशरणं की प्राप्ति हुई.एवं
सामाजिक मार्गदर्शक की एक अपूरणीय क्षति हुई है जिसकी भरपाई मुश्किल है .त्याग तपस्या सहयोग सेवा की सुधारात्मक सत्य आवाज लोगों में हमेशा बसी रहें .यही उनके अनुयायिओं की उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है.
अनुयायी
आनंद जोनवार
Om shanti..
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