जीवन की पुस्तक का पहला पाठ मेरे पापा

तमाम मुसीबतों के बाद  मीलों दूर आज मैं जिस मुकाम पर मौजूद हूं.वो सब पापा की वजह से हूं. उनके मजबूत इरादे दृढ़ सोच और सहयोग से मैंने जीवन में आई हर परिस्थिति का मुकाबला डटकर किया.जिसका पाठ पापा ने बचपन में ही पढ़ा दिया था. बचपन से लेकर अब तक हर कदम पर पिताजी उंगली थाम के चले उन्होंने समय समय पर हर उंगली को पकड़ा और परिस्थिति में रास्ता को आसान कर दिया. वो दुख के भाव छिपाकर  आँखों से सदैव प्यार का नीर बहाते रहे. वो मेरे लिए किस्मत से भी लड़े और मुझे भी लड़ना सिखाया, तभी तो मुझे आज तक ना कोई धूप मुरझा सकी, ना दुविधाओं की आंधी डिगा सकी. 
 
पापा खुदा की तस्वीर मेरी तकदीर
पापा का प्यार निराला है. उनका साया मेरे सर पर रब के रूप में है.वो मेरे खुदा है मेरी तकदीर है. पुत्र पिता का नाता एक अनोखा न्यारा पवित्र रिश्ता है. इस रिश्ते को एक दिन या एक पोस्टर में समेटा नहीं जा सकता.जीवन का हर पल इस रिश्ते की तस्वीर है. तभी तो पापा के लिए पिता डैड डैडी फादर जैसे सम्मानित शब्द है.पिताजी प्रेम त्याग करुणा का एक सच्चा जीवंत उदाहरण है . प्यारे न्यारे पापा बेटे की हर छोटी से छोटी बड़ी से बड़ी  गलती, हर जुर्म, हर गुनाह को माफ कर देते है. पिताजी की कभी कभी पड़ने वाली डांट फटकार ने ही मुझे संस्कारवान बना दिया..पापा की डांट फटकार कुम्हार की थाप की तरह है जिससे  मिट्टी  भी सुंदर बर्तन का  रूप धारण कर लेती है. इसलिए पापा मेरे लिए खुदा की जीवित प्रतिमा है जिसकी हर पल पूजा करता हूं.हैप्पी फादर्स डे...
लेखक
आनंद जोनवार

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