काकोरी में कांड जोड़ना इतिहासकारों भूल, यूपी में कंडो की लिस्ट किसकी भूल

भारत अपनी आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में 'आजादी अमृत महोत्सव' मना रहा है। ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार ने  'चौरी चौरा महोत्सव' कार्यक्रम के तहत 'काकोरी ट्रेन एक्शन' की 97वीं वर्षगांठ मनाई। जिसमें उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 'काकोरी कांड' का नाम बदलकर 'काकोरी ट्रेन एक्शन डे' कर दिया है।  उनका कहना है कि ब्रिटिश कालीन इतिहासकारों ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी इस महत्वपूर्ण घटना के नाम में 'कांड' जोड़ दिया था, जो अपमान की भावना को दर्शाता है. इसलिए उत्तर प्रदेश सरकार ने काकोरी की घटना को ट्रेन एक्शन करार दिया और कांड शब्द को हमेशा के लिए मिटा दिया।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 19 मार्च 2017 को जब सत्ता संभाली और शपथ ली, कि गुंडे और माफिया प्रदेश छोड़ दें या फिर अपराध करना,  वरना अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहें. योगी सरकार ने इसकी शुरुआत सड़क छाप मजनुओं के लिए एंटी रोमियो स्क्वाड से की थी। महिला संबंधी अपराध पर गंभीरता दिखाते हुए की गई इस शुरुआत के कुछ दिनों बाद ही योगी सरकार में शातिर लुटेरों-डकैतों के खिलाफ एनकाउंटर का दौर शुरू हुआ और सफेदपोश हो चुके माफियाओं के घरों पर बुलडोजर भी चलने लगा. इस दौरान दंगाइयों और बलवाइयों से निपटने के लिए और नुकसान की भरपाई के लिए कानून भी लाया गया तो वहीं भ्रष्ट पुलिसकर्मी और अफसरों पर नकेल कसने के लिए कार्रवाई भी हुई. लेकिन इन तमाम दावों और कोशिशों के बावजूद कई ऐसी घटनाएं भी हुईं जिसने खाकी को शर्मसार किया, पुलिस को दागदार बनाया और सरकार की किरकिरी की। साल 2017 में उत्तर प्रदेश की जब सत्ता बदली, तो लगा नए निजाम के आते ही सूबे की पुलिस का चाल, चरित्र और चेहरा बदल जाएगा।
 कुर्सी पर बैठते ही सीएम योगी आदित्यनाथ ने पुलिस महकमे पर काम करना शुरू कर दिया। राज्य में अपराध और अपराधियों को खत्म करने के नाम पर पुलिस को खुली छूट दे दी गई। अपनी 'ठोको नीति' के तहत पुलिस मुठभेड़ पर मुठभेड़ करने लगी। पुलिस को सरकारी ताकत क्या मिली खाकी को अहंकार आ गया। अधिकार के साथ आए अहंकार में चूर पुलिस ने आम आदमी पर जुल्म करना शुरू कर दिया। फर्जी मुठभेड़ किए जाने लगे। कई बार हुई पुलिस के साथ  सरकार किरकिरी  उत्तरप्रदेश में शुरू हुए एनकाउंटर की नीति ने सरकार और पुलिस की किरकिरी खूब कराई।  खाकी कहीं  अपराधियों से निपटने के लिए गोली चलाने के बजाय मुंह से ठांय ठांय करती नजर आई । तो कई बार अपराधियों को अधकचरी प्लानिंग से ललकारने पर 8 पुलिस वालों की जान लेने वाला बिकरू कांड जैसा काला दिन भी देखा गया। 
पुलिस का पलिया कांड,  पुलिस की करतूत से खाकी हुई शर्मिंदा

आजमगढ़। सगड़ी तहसील के पलिया कांड में पुलिस की करतूत से पूरा प्रशासनिक अमला बैकफुट पर आ गया था। पुलिस ने अनुसूचित वर्ग के लोगों के घर में घुसकर मारपीट और तोड़फोड की, यहां तक की पुलिस ने कई घरों को जेसीबी से तोड़वा दिया था। गांव की महिलाओं ने गांव में ही धरना शुरू कर दिया था। अनुसूचित समाज के लोगों पर हुए अन्याय की सूचना मिलते ही  विभिन्न राजनैतिक दल सक्रिय हो गए। कई राजनैतिक दलों ने धरने को समर्थन भी दिया। 

कुरहुआ कांड, मंदिर से पूजा कर लौट रहे एनडी तिवारी पर फायरिंग
रोहनिया के अखरी निवासी एनडी तिवारी पांच अप्रैल की रात शूलटंकेश्वर मंदिर से पूजा कर लौट रहे थे। इसी दौरान कुरहुआ में फायरिंग कर उनकी हत्या कर दी
एटा का फर्जी मुठभेड़ मुफ्तखोरों को मेहनतकश लोगों की हिम्मत नहीं देखी जाती 
एटा में फर्जी मुठभेड़ का हैरतअंगेज मामला सामने आया जिसमें होटल संचालक द्वारा पुलिस से खाने के रुपए मांगने पर पुलिसकर्मियों ने दिव्यांग ढाबा मालिक सहित स्टॉफ के 11 लोगों को मुठभेड़ में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। इस फर्जी पुलिस मुठभेड़ में उन पर शराब, गांजा तस्करी और अवैध हथियार का मामला दर्ज कर लिया और ‍‍जेल भेज दिया। इस मामले का पता तब चला जब जमानत कराकर दिव्यांग एग्जीक्यूटिव इंजीनियरिंग  ढाबा मालिक जेल से बाहर निकला। और उसने लगातार उच्च अधिकारियों से इसकी शिकायत की। इस फर्जी मुठभेड़ ने पुलिस महकमे को शर्मसार कर दिया।

राजधानी लखनऊ में मैनेजर कांड
लखनऊ के पॉश इलाके गोमती नगर विस्तार में यूपी पुलिस के सिपाही प्रशांत चौधरी ने मल्टीनेशनल कंपनी के मैनेजर की गोली मारकर हत्या कर दी थी। मरने वाले विवेक तिवारी ऐपल कंपनी में सेल्स मैनेजर की पोस्ट पर थे। पुलिस ने विवेक को उस समय गोली मारी जब वे अपनी सहकर्मी को रात में ड्रॉप करने जा रहे थे।

कानपुर का बिकरू कांड
कानपुर के बिकरू गांव में गैंगस्टर विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस टीम का, अपराधी के साथ झड़प होने पर आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। इस कांड ने पुलिस के  भ्रष्टाचार और उसकी क्रूरता को उजागर कर दिया था। 

2019 सोनभद्र का खूनी संघर्ष  उम्भा कांड,जिसमें गई थी 11 लोगों की जान
17 जुलाई 2019 को सोनभद्र जिले का एक गुमनाम गांव उभ्भा उस समय एकदम पूरे देश में सुर्खियों में छा गया, जब एक सोसाइटी की जमीन पर कब्जे को लेकर दबंगों ने गोली मारकर 11  आदिवासियों की हत्या कर दी थी। वहीं करीब 30 लोग घायल हुए ।  इस कांड में चली गोलियों की तड़तड़ाहट पूरे देश में सुनाई दी थी। आरोपी ग्राम प्रधान यज्ञदत्त औऱ उसके 300  समर्थकों ने आदर्श सोसाइटी के गोंड़ आदिवासी सदस्यों पर लाठी डंडे फावड़ों के साथ ताबड़तोड़ फ़ायरिंग की। इस कांड में सबसे पहले 18 जुलाई को कांग्रेस विधानमंडल दल के तत्कालीन नेता अजय कुमार लल्लू घटना स्थल पर पहुंचे थे। कांड के बाद राज्य सरकार ने पीड़ित गांव के विकास के लिए तमाम परियोजनाओं का पिटारा खोल दिया और कई योजनाओं की झड़ी लगा दी थी।  

2020 हाथरस कांड -14 सितंबर की खौफनाक वारदात और पुलिस की करतूत
14 सितंबर 2020 को हाथरस के बूलगढ़ी गांव में एक दलित युवती के साथ दरिंदगी की गई थी और उसे जान से मारने की कोशिश हुई थी. इलाज के दौरान युवती ने 29 सितंबर 2020 को दम तोड़ दिया था.  


2021 मनीष मर्डर, पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने खोली पुलिस की पोल
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता को पुलिस ने पीटकर मार डाला। मनीष की मौत को पहले संदिग्ध माना जा रहा था लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पिटाई के खुलासे ने पुलिस की पोल खोल कर रख दी।  इस मामले में 3 पुलिसवालों समेत 6 लोगों पर एफआईआर हुई है,और कई पुलिसवाले सस्पेंड हुए।

2021 कब कब सुर्खियों में रहा लखीमपुर, चीर हरण से लेकर कुचलने तक 
लखीमपुर पिछले समय में तब सुर्खियों में आया जब चार जिलों से करीब 1 हजार सिख किसानों के विस्थापन की खबरें सामने आई थी। तब आम आदमी पार्टी के भगवंत मान ने कहा था कि उत्तरप्रदेश के तराई क्षेत्र में 70 साल से रह रहे हजारों सिख किसानों को योगी सरकार द्वारा बेदखल किया जा रहा है। उन्होंने राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि यह उसी तरह किया जा रहा है जैसे भाजपा सरकार ने गुजरात के कच्छ  क्षेत्र में पंजाबी किसानों को बेदखल किया था। इसी तर्ज पर 25 सिंतबर 2021 को एक स्थानीय समारोह के वीडियो  में केंद्रीय गृहराज्य मंत्री अजय मिश्रा किसानों को धमकाते हुए कह रहे है कि सुधर जाओ, अगर उका विरोध  किया,तो लखीमपुर खीरी से बाहर जाना पड़ेगा।
इससे पहले भी लखीमपुर खीरी तब सुर्खियों में जब लोकतंत्र भारत में एक बीजेपी नेता के समर्थकों द्वारा चुनाव  के चलते महिला की साड़ी खीची। घटना लखीमपुर खीरी के पसगवां ब्लॉक में बीजेपी  विधायक लोकेंद्र सिंह के कार्यकर्ताओं ने पंचायत चुनाव में नामांकन भरने जा रही समाजवादी प्रत्याशी  रितु सिंह  से नामांकन पत्र छीनकर उनकी  प्रस्तावक अनिता यादव के साथ मारपीट की और उनके कपड़े फाड़े,  इस बदसलूकी पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने योगी सरकार को सत्ता के भूखे योगी के गुंडे कहते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट की।  

ब्राह्मण हत्याकांड और योगी का विरोध
26 जून को रायबरेली के ऊंचाहार थाना क्षेत्र स्थित अपटा गांव में आपसी विवाद को लेकर भीड़ ने पांच लोगों की हत्या कर दी थी। उनमें से कई को जला भी दिया गया था। इस घटना पर उत्तरप्रदेश के डिप्टी सीएम स्वामी प्रसाद मौर्य का कहना था , ''जो मारे गए वो किराए के गुंडे थे। मारे गए गुंडों को शहीद बताया जा रहा है,इसको लेकर विपक्ष राजनीति कर रहा है, उन्होंने इसे ब्राह्मणों की हत्या नहीं ,अपराधियों की हत्या बताया।" इस हत्याकांड के बाद ब्राह्मण संगठनों ने योगी सरकार का मुखर विरोध करना शुरू कर दिया था. 

पिछले साल उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार पर ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल इंडिया के सर्वे में यूपी राज्य का पुलिस विभाग सिर्फ सबसे ज्यादा भ्रष्ट ही नहीं है बल्कि  2018-19 में भ्रष्टाचार के केसों में सबसे ज्यादा वृद्धि हुई हैं।

मित्तूपुर का शराब कांड आजमगढ़ में जहरीली शराब से 33 लोगों की मौत हो गई थी उसके बाद पुलिस जागी

25 मई 2018 को कानपुर में हुए जहरीली शराब कांड

2018 में ही सहारनपुर-हरिद्वार में जहरीली शराब पीने से हुई त्रासदी में उ.प्र.व उत्तराखंड के दर्जनों लोग मरे थे
उसी साल देवरिया में हुए जहरीली शराब कांड

जनवरी 2019 में कानपुर में हुए जहरीली शराब कांड 
28 मई 2019 को बाराबंकी में हुए जहरीली शराब कांड 

औंधे मुंह गिरी सरकार की कानून व्यवस्था 
सरकार की ठांय ठांय नीति पर तब सवाल उठने लग जाते है जब सरकार अपने राजनैतिक हित साधने के चलते एक विशेष वर्ग को टारगेट करने लग जाती है। बेकसूरों पर खाकी बेवजह जुर्म करती है। तब सरकार की नीति व नीयत दोनों पर गंभीर प्रश्न खड़े होने लगते है । ऐसे में कानून व्यवस्था औंधे मुंह गिरी हुई दिखाई देती है। राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट की लताड़ इसी ओर इशारा करती है कि वहां कानून तंत्र में अनेक खामिया है। जिससे लोगों को कानून का डर नहीं है। तभी रेप हत्या डकैती लूट अपहरण जैसी घटना आम हो गई है। हैरान करने वाली बात ये है कि रेप की बढ़ती घटनाओं के साथ रेप पीड़िता को जलाकर मारने जैसी भयावह घटनाएं निरंतर बढ़ रही है। जो पूरे मानव समाज को झकझोर के रख देता है। और सरकार हमेशा की तरह कि यह कह कर खामोश हो जाती है कि क्राइम कंट्रोल में कर लिया गया है। जबकि पूरे देश में सबसे ज्यादा हत्या,लूट, अपहरण बलवा की घटनाएं यूपी में सबसे ज्यादा हुई है। 

यूपी की राजनीति को नजदीक से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार विकास सिंह का मानना है कि वर्तमान योगी सरकार में  पिछली सरकारों की अपेक्षा अपराधों में कमी आई है। जो  बीजेपी मुख्यमंत्री  योगी आदित्यनाथ की कठोर नीति और सुशासन के चलते  संभव हो सका है। फिर राज्य में जो कांड हुए है उनसे सरकार को  सबक लेना चाहिए। कोई भी हादसा कांड बन जाता है। अभी हाल की लखिमपुर हिंसा को ही देख लीजिये। विपक्षी दलों का  लगातार  सरकार पर  दवाब है। आने वाले  विधानसभा चुनाव में इनका ज्यादा असर पड़े ऐसी उम्मीद नजर नहीं आती। 

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