उत्तरभारत का उपचुनावी सर्वे, कम हो रहा है बीजेपी का वर्चस्व, आमामी मुख्य चुनावों में धुंधली पड़ सकती है मोदी लहर

देश के 13 राज्यों में तीन लोकसभा सीट और 29 विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के परिणाम ने हारे हुए नेताओं की धनतेरस में खनन पैदा कर दिया। वहीं जीते हुए प्रतिनिधियों पर फूलों की खूब बरसात करा दी। उपचुनाव के नतीजों ने आने वाली साल में होने वाले चुनावों की हवा की ओंर रूख कर दिया है। तकरीबन उत्तर भारत की ज्यादातर सीटों के नतीजों ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। उत्तर भारत के अकेले मध्यप्रदेश राज्य को छोड़ दिया जाए तो अधिकतर सीटों पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है। वहीं जिन सीटों पर बीजेपी की जीत हुई है वहां वोट प्रतिशत में अंतर कम रहा है। अकेले मध्यप्रदेश और पूर्वांचल के असम में ही बीजेपी तीन तीन सीट जीतने में कामयाब हो पाई है। हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, पश्चिम बंगाल में बीजेपी की हार औऱ कर्नाटक में कांग्रेस की टक्कर ने बढ़ती मंहगाई, किसान आंदोलन और मोदी सरकार की कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर आगामी चुनावों को लेकर सोचने पर मजबूर कर दिया है।
उत्तरभारत में बीजेपी की नाक शिवराज ने बचाई
मध्यप्रदेश में तीन सीटों पर बीजेपी की जीत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सख्त तुरंत कार्रवाई,अनुसूचित जनजाति के खिलाफ मुकद्मों को वापस लेने और आदिवासी वर्ग में सीएम शिवराज की बढ़ती छवि का नतीजा है। आदिवासियों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी औऱ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का परिणाम है कि बीजेपी को एसटी समुदाय से मिले वोट परसेंट में बढ़ोतरी देखने को मिली है। जिसके बलबूते पर दशकों बाद बीजेपी ने कांग्रेस का गढ़ कही जाने वाली जोबट विधानसभा सीट को कांग्रेस के हाथ से छीन लिया है। मध्य प्रदेश की चार सीटों पर हुए उप चुनाव के नतीजे बीजेपी के लिए उत्साहजनक रहे। इस पर सीएम शिवराज ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उपचुनाव के नतीजे हमारे लिए उत्साहवर्धक और ऐतिहासिक हैं। पृथ्वीपुर सीट हम अब तक सिर्फ एक बार जीते थे। लेकिन बीएसपी की गैरमौजूदगी में बीजेपी की जीत चमत्कारी है यह बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा और सीएम शिवराज सिंह की मेहनत और लोकप्रियता का नतीजा है।
रणनीति, नेतृत्व औऱ प्रबंधन पर विचार करें कांग्रेस 
वहीं चुनावी मैदान में बीएसपी के उम्मीदवार न उतारने के बावजूद कांग्रेस उम्मीद के मुताबिक करिशमा नहीं दिखा सकी। भले ही कांग्रेस के वोट परसेंट में बढ़त देखने को मिली है लेकिन मुख्य चुनाव के हिसाब से इसे ठीक ठाक कहना अधिक उचित नहीं होगा। मध्यप्रदेश में चार सीटों में से एक सीट पर कांग्रेस को मिली जीत कांग्रेस चुनावी प्रबंधन पर सवाल खड़ा करती है। जबकि जोबट और पृथ्वीपुर सीट पर उसका कब्जा था। अपने हाथ से एक सीट गंवाना कांग्रेस को कमलनाथ नेतृत्व पर सोचने को मजबूर करता है।वहीं एक तरफ कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी युवाओं की बात करते है वहीं जब टिकिट देने की बात आती है तब पार्टी में पैर जमाए बैठे वरिष्ठ नेता अपने समकालीन नेताओं के साथ खड़े नजर आते है। भले ही मध्यप्रदेश में कांग्रेस के संपूर्ण कर्ताधर्ता पूर्व मुख्यमंत्री प्रदेशाध्यक्ष और विपक्ष के नेता कमलनाथ मिली हार का ढींगरा प्रशासन औऱ सरकार की पॉवर पर फोड़ रहे है लेकिन इस हार का अंतर्मन से समीक्षा करना और उसकी जिम्मेदारी लेना भी उनकी ईमानदारी है। हालफिलहाल प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने मिली हार को सामूहिक करार दिया है।  
आज मंगलवार को आए उपचुनाव के नतीजों से कांग्रेस सकते में है। कांग्रेस के हाथ से एक सीट बीजेपी के खाते में चली गयी है। चुनाव परिणाम के नतीजों को लेकर पूर्व सीएम कमलनाथ ने हार स्वीकार कर ली है। उन्होंने कहा हार के कारणों की पार्टी समीक्षा करेगी। वहीं रैगांव सीट जीतने के बाद कांग्रेस को थोड़ी राहत मिली है। कांग्रेस ने 32 साल बाद ये सीट बीजेपी से छीनी है।

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