स्वच्छ राजनीति के लिए संज्ञान ले -इ .सी.
बागियों का दौर........ कब खत्म होगा? बेहड़ बागी बनाम पार्टी बागी समाज का सताया हुआ समाज में बागी बना,उसने अनगिनत नुकसान पहुंचाए सरकार की प्रायोजित कल्याण कारी योजनाओं से ऐसे बागी तो बाकी नहीं बचे। आज बंदूक लिए घोड़े पर धड़म धड़म चलने वाले बागी देखना तो दूर ख़बरों में भी सुनाई नहीं देते। यह शायद कानून का डर,बदलते वक़्त के साथ बेहतर शासन व्यवस्था और सरकार की मंशा से संभव हुआ। बागियों को देखने की ख्वाहिश ,मन को बहलाने ,आंखो को झूठी संतुष्टि देने के लिए खड़क सिंह के खड़कने वाले डाकू बागी आंखों को फिल्मी पर्दे पर दृष्टिगोचर हो जाते है। आखिरकार सरकार के तमाम उपाय सफल हुए। उन बेहड बागियों का स्थान राजनैतिक बागियों ने ले लिया। जो ऊब- ब -हूं पुराने बागियों के जैसे दिखते है। ये बंदूक से नहीं लोकतंत्र मजबूती का लुभावना वादा करके राजनीति का सहारा लेकर मतदाताओं को वोटों से लूटते हैं। भोली-भाली जनता को लूटने वाले कभी कभी खुद भी लूट जाते है।और ये भरोसे पर धोखा खा कर अपनो को धोखा देते है। वो बेहड़ों के बागी कहलाते थे,ये पार्टी बागी से पुकारे जाते है। इनकी इतनी उपियोगिता जरूर है कि जनता के लिए