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Showing posts from March, 2019

स्वच्छ राजनीति के लिए संज्ञान ले -इ .सी.

बागियों का दौर........ कब खत्म होगा? बेहड़ बागी बनाम पार्टी बागी समाज का सताया हुआ समाज में  बागी बना,उसने अनगिनत नुकसान पहुंचाए सरकार की प्रायोजित कल्याण कारी योजनाओं से ऐसे बा...

बच्चों की शिक्षा से खिलवाड़

लोकतंत्र समझने का असली औजार शिक्षा,कमजोर ! लोकतंत्र का असली पर्व आते ही सियासी तवा गर्म होने लगा जिस पर सियासी लोग रोटी सेकने का  अपना -अपना हुनर और तजुर्बा दिखाएंगे। सत्ता ...

एक अनोखी दुनिया पातालकोट

फीका पड़ता पाताल का रंग बोर्ड ऑफिस भोपाल से अपनी पूरी टीम के साथ निकल पड़े देश के दिल की गहराइयों में बसे पातालकोट के बारे में फैली भ्रामक बातो की सत्यता की पुष्टि करने  की पड़ताल और  विकास की नब्ज टटोलने। शहर से ही  लगने लगा कि विकास अपने पैर पसार रहा है। मंजिल तक पहुंचते-पहुंचते ना जाने कितनी मंजिलें धराशाई होते हुए दिखी, ये सीमेंट कंक्रीट की वो मंजिलें थी , जिन्हें पुन: बना सकते हैं। घुमावदार -लहरदार ,ऊंची -नीची सड़कों से होशंगाबाद ,बाबई में बंद्री की चाय की  गर्म- गर्म चुस्कियां पीकर, पिपरिया ,तामिया होते पातालकोट के गांव गैलडूब्बा ,डर भरी रात ,संदेह को मन में पाले हुए , सुनी हुई भ्रामक बातों को ध्यान में रखे हुए रात 10:30 बजे सुख ,सुविधा, संपन्न छाती को चीरती  हुई सड़कों से वहां पहुंचे तो छाती सुकून से भरी और मन प्रकृति की खुशबू से प्रफुल्लित हो उठा ।सीधे-साधे सहज सरल स्वभाव वाले प्रकृति के पुत्रों से परिचय हुआ तो परचम लहरा रहा विकास  मन में समा गया। झाड़ के छोटे-छोटे बेर रूपी  टमाटर की चटनी, बैगन का भरता, मक्का ,गेहूं की रोटी ,दाल- चावल सामूहिक ...

गैस त्रासदी की पीड़ा आज भी जिंदा है।

भोपाल गैस त्रासदी 3 दिसम्बर 1984 आधुनिक युग की दुनिया के इतिहास में काली परेड के यूनियन कार्बाइड कारखाने द्वारा कीड़े मकोड़ों को मारने वाले रसायन मिथाइल आइसोसायनाइड के खौफ...

आधुनिक भारत में पत्रकारिता की शुरुआत

वैसे तो   विज्ञान कि भाषा में हिकी को  एक छोटी सी सूजन की ऊंचाई कहा जाता है । पत्रकारिता में ऐसी गर्म ऊंचाई आज से 239 साल पहले 1780 में देश के पहले अंग्रेजी भाषा न्यूजपेपर बंगाल गजट ...

नारी की दबी आवाज गूजेंगी नारी दिवस पर

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा, प्यार प्रकट करते हुए  शैक्षणिक ,आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों के उपलक्ष्य में उत्सव के तौर पर मनाया जाता है।  इस दिन पूरी दुनिया में महिलाओं के मुद्दों पर चर्चा की जाती है, समाधान खोजे जाते हैं ,और  संकल्प लिए जाते हैं। ये दिन महिला जागरूकता और सशक्तीकरण का आयोजन है ।  जानकारी और जागरुकता जरूरी जानकारी और जागरूकता महिलाओं और पुरुषों में भेदभाव मिटाने के सबसे बड़े हथियार है। महिला दिवस की शुरुआत 1857 में न्यूयॉर्क शहर की पोशाक बनाने वाले एक  कारखाने की  महिलाएं अपने समान अधिकारों ,काम करने की अवधि में कमी ,कार्य अवस्था में सुधार की मांग करते हुए ,जुलूस निकालकर सड़कों पर उतर आई थी । सन 1910 में महिलाओं की समस्यायों के समाधान हेतु बीजिंग में एक विश्व सभा बुलाई गई थी । उसी दिन की स्मृति में प्रतिवर्ष 8 मार्च को महिला दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। महिलाओं में अधिकारो के प्रति जागरुकता जरूरी है। तभी वे  अपनी सुरक्षा खुद कर पाएंगी , तब समाज पुलिस और कानून भी उनकी मदद करेगा। आर्थिक रूप...