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Showing posts from April, 2020

सामान्य सा सोशल समाज का सर्वश्रेष्ठ सितारा इरफान

बॉलीवुड स्टार इरफान खान का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया है. वो लंबे समय से कैंसर से जंग लड़ रहे थे. इरफान ने बुधवार की सुबह 11 बजे के करीब मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में आखिरी सांस ली. मंगलवार को अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई थी जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उन्हें आईसीयू में रखा गया था. इरफान के आधिकारिक प्रवक्ता द्वारा जानकारी दी गई थी कि उनकी हालात स्थिर है और उन्हें कोलोन इन्फेक्शन के चलते अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. देर रात ये भी दावा किया गया था कि अब उनकी तबीयत में सुधार है और उनकी मौत की खबरें झूठी हैं..... लेकिन आज सुबह उनकी मौत की जानकारी दी गई. इरफान खान की मौत की जानकारी देते हुए परिवार की ओर से आधिकारिक बयान जारी किया गया है, जो काफी भावुक कर देने वाला है. जारी बयान में कहा गया, '' 'मुझे भरोसा है, मैंने आत्मसमर्पण कर दिया है'. इरफान खान अक्सर इन शब्दों का प्रयोग किया करते थे. साल 2018 में कैंसर से लड़ते समय भी इरफान ने अपने नोट में ये बात कही थी. इरफान खान बेहद कम शब्दों में अपनी बात कहा करते थे और बात करने के लिए आंखों

लापरवाही का जिम्मेदार कौन?

15 अप्रैल को जब पूरा  देश दूसरे  चरण के लॉक डाउन की शुरुआत कर रहा था उसी दिन   भारत के इतिहास की एक बड़ी विस्तृत जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुई है। जो  जिम्मेदारों की जवाबदेही के प्रति लापरवाही और कानून के उल्लंघन से  सम्बंधित है ।इसके कारण कोरोना जैसी महामारी देश में फैली और करोड़ो लोगों के जीवन को अस्त व्यस्त कर सड़कों पर भूख बैठा दिया । यह सब तीन लोगो की मनमानी का परिणाम भी हो सकता है जिससे करोड़ो  मजदूर गरीब व्यापारी छात्र तकरीबन हर क्षेत्र  प्रभावित हुआ है ।देश को अत्यधिक आर्थिक क्षति हुई है ।दाखिल इस याचिका में नागरिकों को कंपनसेशन देने की बात की गई है ।प्रधानमंत्री व भारत सरकार की जवाबदेही को सुनिशिचत करने की मांग व उचित  दिशानिर्देश देने की अपील की है।  कोरोना तालाबंदी में मूलभूत अधिकार और मानवाधिकार के उल्लंघन के चलते 135 करोड़ भारतीयों में से जिन लोगों के पास सरकारी कर्मचारियों की तरह महीने का वेतन नहीं है ऐसे 100 करोड़ लोगों को ₹376 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से देने की मांग सर्वोच्च न्यायालय से की है । ऐसे लोगों की कोई गलती नहीं है जो रोज कमा कर खाते है इसमें श्रमिक मजदू

कोरोना डर में परीक्षा का तनाव

कोरोना नामक बीमारी ने तांडव मचा के रखा है । इसके बीच में भी जिंदगी और मौत के बीच परीक्षा का तनाव छात्रों में है जिसका होना स्वभाविक भी है जिसने हर खुशहाली में खामोशी पैदा कर दी है  । जिसमें विदेश से पढ़े लिखे शिक्षित संपन्न लोग व सरकार की लापरवाही साफ जगजाहिर हो रही है ।एपिडेमिक डिसीज एक्ट 1896 व अतर्राष्ट्रीय स्वास्थ नियम 2005 को सरकार और विदेशी शिक्षा पाने गए लोगों ने ताक पर रख दिया ।नियमों के  मुताबिक इन्हें थर्मल स्क्रीनिंग के बाद भी क्वारेंटाइन होना चाहिए था ,ये नहीं हुए  इनकी जानबुझकर की गई लापरवाही खुद और सभी देशवासियों के लिए खतरा बनी है । पूरे देश में फैलती घूमती यह बिमारी सैकड़ो की जान ले गई कइयों की और भी संभावना है।  देर से जागी सरकार ने कड़े प्रतिबंधों के साथ निर्णय लेने में  देरी नहीं और आज दुनियां के अन्य देशों की तुलना में भारत में कम केस है ।भले ही आरोपों में  टेस्ट कम हुए है परंतु संक्रमित टेस्ट संक्रमण परीक्षण दर व मौत प्रतिशत अन्य की अपेक्षा कम है । हालफिलहाल  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बंद में देखभाल पध्दती तारीफ ये काबिल है ।सभी स्

लॉक डाउन 2 -गलती सबक और सुधार जरूरी

गलतियां छिपाकर जीत हासिल हो जाएंगी मगर क्या स्थाई कामयाबी मिलेंगी!  भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सलाहकारों की सुझावीय अनुशंसा पर  21 दिन के लॉकडाउन को बढ़ाकर 3मई कर दिया है ।जो कोरोना महामारी से बचने का एक प्रथम स्टेप है ।मंगलवार सुबह देश के नाम संबोधन में पीएम मोदी  ने उन गलतियों को सुधारने का प्रयास किया जो पहले लॉक डाउन में हुई।और उन पीड़ित  गरीबों ,मजूरों  का हिमायती बनने का प्रयास किया जबकि मोदी जी को पहले चरण में इनका बिल्कुल ख्याल नहीं आया ।उनकी एक बात पर और प्रश्न चिह्न लगना चाहिए जो उन्होंने संबोधन में कही की हमने स्क्रीनिंग बहुत पहले कर दी थी । मोदी जी देश को इसके साथ यह  भी बता  देते की राष्ट्रीय मेडिकल इमरजेंसी ने आपसे सतर्क रहने का कब कहा था और आप कब जागे मैं यहां एक सवाल और बता देता हूं कि स्क्रीनिंग और मेडिकल एग्जामिनेशन में अंतर होता है ।इस अंतर की अहमियत और जागरूकता तब ओर बढ़ जाती है जब किसी रोग के लक्षण छिपे होते है जबकी कीटाणु शरीर के अंदर हो और लक्षण दिखाई नहीं दे रहे ।इस समय मात्र थर्मल स्क्रीनिग किसी काम की नहीं रहती जबकि वह बाहरी व्यक्ति  उस जगह से आया हो जिस

नव बौद्ध भारत के जन्म दाता -डॉ आंबेडकर

विश्व की महान विभूतियों में शामिल युग प्रवर्तक डॉ बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने  विश्व के बदलते वातावरण में एक नई आर्थिक नीति के माध्यम से सामाजिक व आर्थिक क्रांति को विश्व पटल पर रखा। 1931 के गोलमेज सम्मेलन में श्रमिक भारत के करोड़ों दलितों की सामाजिक एवं आर्थिक दुर्दशा का चित्र ,अंग्रेजी शासकों से अधिकार हासिल करना ,उनकी निर्भीकता योग्यता को बताता है । श्रमिक एकता क्रांति के सूत्रधार बने डॉक्टर अंबेडकर ने व्यावहारिकता के अनुरूप पूंजीवाद एवं सामंतवादी व्यवस्था में श्रमिकों को मुक्ति दिलाने के लिए राज्य समाजवाद की ओर समाज को मोड़ा और एक नया रास्ता दिखाया । जो डॉ अम्बेडकर की सामाजिक आर्थिक क्रांति की आधारशिला है। व्यवहारिकता के पक्ष में मानवीय मूल्यों को सर्वोपरि बताया ।जिसके लिए डॉ अम्बेडकर ने शुद्ध आर्थिक क्रांति से कई अधिक मानवीय मूल्यों को ऊपर उठाने के लिए सामाजिक बदलाव को जरूरी समझा और आर्थिक प्रजातंत्र की वकालत करते  रहे।   संविधान सभा के समक्ष अपना स्पष्ट विचार रखते हुए डॉ आंबेडकर ने कहा था ।  26 जनवरी 1950 को हम विरोधाभास के जीवन में प्रवेश कर रहे हैं एक तरफ राजनीति में समानता होगी

अफवाहों का घर बनाती है फेक न्यूज़

दुनिया में कोरोना जिस तेजी से पैर पसार चुका है उससे कई गुना तेज फेक न्यूज़ फैल रही है । फैलती महामारी में कोरोना ने फेफडो  में पहुँचकर लोगों के सांस भरते जीवन को अस्त व्यस्त कर दिया है वहीं कोरोना से जुड़ी.... झूठी ,बनी बनाई, ,अविश्वसनीय ,जाली खबरों ने जनता को भृमित कर दिया है। इंटरनेट पर कीड़े मकोड़ो की तरह रेंगती हजारों साइट के साथ  सोशल मीडिया पर  संगठित सामूहिक ग्रुपों से उछलती फुदकती ज्वलंत जाली भ्रामक खबरों से लोग भ्रमित होने के साथ साथ भीड़ का शिकार बन रहे है । अपने नजदीकियों से फटाफट शेयर होने वाली ये खबरे भावनाओं के साथ खिलवाड़ और  धोखाधड़ी  करती है ।धोखेबाज द्वारा धोखा देने के इरादे से इन खबरों का प्रसारण किया जाता है ।एक विशेष समय में  कृति की गई इन  नकली खबरों में क्या असली है यह भोलीभाली जनता को समझ    नहीं आता है । बिना आधार की ये ख़बरे तूफान की तरह आती है और समाज में अंधकार मचा के चली जाती है । गलत परपज  से एडिटिंग और प्रसारित की गई भ्रामक उत्तेजित वीडियो फ़ोटो लेखनी फेक न्यूज़ में आती है जिनका कोई  ऑथेंटिक सोर्स नहीं होता । ऐसी खबरों से व्यक्ति जल्दी बहक जाता है  इनमें वह अपनी बु

ब्रिटिश भारत में लोकतंत्र के जन्मदाता, मॉडर्न इंडिया के सबसे महान शूद्र महात्मा फुले-डॉ आंबेडकर

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महान भारतीय विचारक, समाज सुधारक, सेवक , दार्शनिक व लेखक ज्योतिराव गोविंदराव फुले  की आज जयंती है, उनका जन्म  11 अप्रैल 1827 को पुणे में  हुआ था।उनकी माता का नाम चिमणाबाई तथा पिता का नाम गोविंदराव था। लोग उनके महत्वपूर्ण सामाजिक योग्दान और  सामाजिक कल्याण के कारण  महात्मा फुले से जानते है। ओबीसी समाज में जन्मे महात्मा फुले जाति से माली थे  जिनका पूरा नाम ज्योतिराव गोविंदराव गोल्हे था।बाद में उनका नाम ज्योतिराव गोविंदराव फुले पड़ गया।  11 मई 1888 के मुंबई की गोली वाड़ा में राव बहादुर विठ्ठलराव वनडेकर ने महात्मा कहा ।  फुले से लेकर महात्मा तक महान कार्य महात्मा के नाम में फुले फूल बेचने के कारण पड़ा।  धर्म ,समाज और परंपराओं के सत्य को सामने लाने हेतु ज्योतिबा फुले ने गुलामगिरी , तृतीय रत्न, छत्रपति शिवाजी, राजा भोंसले का पखड़ा, किसान का कोड़ा, अछूतों की कैफ़ियत जैसी अनेक किताब लिखी।  उनकी सार्वजनिक सत्य धर्म किताब निधन के बाद 1891 में प्रकाशित हुई। 24 सितंबर1873 में ज्योतिराव फुले ने सत्यशोधक समाज की स्थापना की। नारी और निर्बल लोगों के कल्याण के लिए अनेक कार्य किए। शिक्षा से वंचित स्त्री और स

पांच चार 999 लॉक डाउन दीये की अंधमय रोशनी !एक सोच

किसी के कह देने मात्र से  उसे बिना बुध्दि तर्क विज्ञान की कसौटी पर परखकर, कर देना गूंगापन अंधापन बहरापन के साथ पागलपन को व्यक्त करता है ।कल रात 9 बजे 9 मिनिट हम सब वो करने जा रहें ।केवल इसलिए कि  नाटकीय भाषा से रिझाने वाला प्रधानमंत्री अवैज्ञानिक और अंधविश्वासी राह   पर छोड़कर तकनीकी सर्वसुविधायुक्त  सुविधाओं से ध्यान हटा सके ।और दुनियां के सामने अपना एक  झंडा गाड़ सकें और  शान से इसे अपने पक्ष में प्रस्तुत कर दे ।कि  देखो मेरी मूर्खता भरी  तर्को से दूर आवाज पर भी करोड़ो लोगो ने ताल ताली थाली घण्टी घण्टा शंक बजाने के साथ दिए जलाए ।धर्म के तीज त्त्यौहार पर्व मनाने में इनका अपना अलग महत्त्व है । इस पर लगा  प्रश्न  चिह्न अलग विवाद का विषय है । लेकिन कल जलाने जा रहे  करोड़ो दीपक का कुछ भी  राष्ट्रहित नहीं है ।बल्कि नुकसान है जिसे केंद्रीय मंत्रालय के साथ कई राज्य सरकार  स्वीकार कर चुका है ।क्योंकि अधिक लाइट स्विच ऑफ होंगे तो कई स्थानों पर फॉल्ट होने की संभावना होंगी ।कई बिजली कंपनियां के साथ इलेक्ट्रिक मैन इसे देश के लिए बहुत बड़ा खतरा बता रहे है ।जिससे कोई भी बड़ी दुर्घटना होने कि संभावना है ।

दुबई से लौटी दंपति से दस + कोरोना , दहशत में मोरेना

मुरैना। मध्यप्रदेश में तेजी के साथ फैल रहे कोरोना वायरस का असर अब चंबल में  देखने को मिल रहा है। जिससे लोगों में दहशत का माहौल है। जिससे डरकर लोग घरों में कैद है। ऐसे में  सख्त रवैया अपनाते हुए प्रशासन व स्वास्थय विभाग तेजी से कार्य कर रहे हैं। वहीं पूरे मध्यप्रदेश में अब कोरोना पॉजिटिव की संख्या 158 हो गई है।  जिसमें से 11 की मौत हो चुकी है । मुरैना जिले में गुरुवार  को  दुबई से लौटे पति-पत्नी दोनों ही कोरोना पॉजीटिव पाए गए। कल दस और लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है ।सभी दंपति के रिश्तेदार है । इसी के साथ अब मोरेना में पॉजिटिव मरीजों की संख्या 12 हो गई है । ये सभी दस लोग  मोरेना की  तहसील सबलगढ़ के खेरला गांव है ।जो  दंपति के यहाँ मां की बरसी में 22 मार्च को  आये थे  ।खेरला भी  हज़ार आबादी  वाला गांव है ।ऐसे में पूरे गांव में पुलिस के साय में सन्नाटा पसरा हुआ है । जगह जगह बेरिकेड्स लगा दिए गए है। दंपति  17 मार्च को दुबई से वापस अपने घर लौटी थी । जिसे 31 मार्च को आरएमओ की सर्तकता से पति-पत्नी का परीक्षण कर अस्पताल में आईसोलेट किया था। बताया जा रहा है कि दोनों के 16 रिश्तेदार परिजनों को भी